Vikas Dubey Encounter: विकास दुबे के एनकाउंटर से जुड़े दस सवाल जिनका जवाब यूपी पुलिस और एसटीएफ को देना बाकी है

Vikas Dubey Encounter: पुलिस की कहानी के मुताबिक हादसे से ठीक पहले विकास दुबे टाटा सफारी स्टॉर्म गाड़ी में सवार था, लेकिन सफेद टीयूवी 300 गाड़ी पलट जाने के बाद वहां मौजूद पुलिसवालों ने कहा कि इस हादसे में विकास दुबे के सिर में चोट लगी है. लेकिन फिर उसे सफारी स्टॉर्म गाड़ी से ही अस्पताल पहुंचाया गया. इस दौरान सफारी टू टीयूवी 300 गाड़ियां आपस में कैसे बदल गई?

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Vikas Dubey Encounter: विकास दुबे के एनकाउंटर से जुड़े दस सवाल जिनका जवाब यूपी पुलिस और एसटीएफ को देना बाकी है

Aanchal Pandey

  • July 10, 2020 3:27 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 years ago

कानपुर: उज्जैन के महाकाल मंदिर से गिरफ्तार मोस्ट वांटेड अपराधी विकास दुबे उसी यूपी पुलिस की गोलियों का शिकार हो गया जिसके आठ जवानों को कुछ दिन पहले उसने मार दिया था. उज्जैन से कानपुर लाने के दौरान एसटीएफ की गाड़ी पलटी, विकास दुबे ने पुलिसवालों का हथियार छीनकर भागने की कोशिश की और फिर एनकाउंटर में मारा गया. ये बयान यूपी पुलिस का है लेकिन कहानी जितनी सीधी लग रही है उतनी है नहीं. विकास दुबे के एनकाउंटर से जुड़े कुछ सवाल हैं जिनका जवाब अब भी नहीं मिला है.

पहला सवाल ये कि कानपुर की सीमा में ही एसटीएफ की गाड़ी का एक्सीडेंट कैसे हुआ और गाड़ी कैसे पलट गई?

दूसरा सवाल ये है कि विकास दुबे जो लगातार कानपुर से उज्जैन तक भागा हो वो दोबारा काफिले से भागने की हालत में था? क्या उसमें इतनी हिम्मत थी कि वो पुलिस के हथियार छीनकर भागने की कोशिश कर सके?

तीसरी सवाल ये कि विकास दूबे जैसा अपराधी जिसने 8-8 पुलिसकर्मियों का मर्डर किया हो, उसे लाते समय कोई सावधानी नहीं बरती गई? उसने पुलिस पार्टी से भिड़ने की हिम्मत कैसे जुटाई?

चौथा सवाल ये है कि पुलिस की गाड़ी का एक्सीडेंट होने के बाद पहले गोली किसने चलाई, विकास ने पहले पुलिस पर गोली चलाई या फिर पुलिस ने उसे रोकने के लिए गोली चलाई? दोनों तरफ से कितने राउंड गोलियां चली.

पांचवा सवाल ये कि क्या ये महज इत्तेफाक है कि विकास के साथी प्रभात का एनकाउंटर भी वैसे ही हुआ, बस फर्क इतना है कि यहां गाड़ी का एक्सिडेंट हुआ और प्रभात के मामले में गाड़ी पंचर हो गई थी.

छठा सवाल ये कि जो विकास दुबे खुद उज्जैन में चिल्ला चिल्लाकर कर रहा था कि वो विकास दुबे और खुद की गिरफ्तारी दी हो, वो खुद भागने की कोशिश क्यों करेगा?

सातवां सवाल ये कि क्या विकास दुबे जैसे कुख्यात अपराधी को बिना हथकड़ी लगाए ही लाया जा रहा था. क्यों कोई सावधानी नहीं बरती गई? आखिर क्यों कानपुर आकर ही विकास को भागने का ख्याल आया?

आठवां सवाल ये कि इतने पुलिसकर्मियों के बीच विकास भागने की कोशिश कर भी रहा था तो उसके पैरों में भी गोली मारी जा सकती थी. सीने में चार गोलियां और हाथ पर एक गोली क्यों मारी गई? क्या पुलिस का मकसद उसे पकड़ना नहीं जान से मारना था?

नौवां सवाल उज्जैन पुलिस ने विकास दुबे को गिरफ्तार क्यों नहीं किया और यूपी एसटीएफ को सौंपने से पहले उसे ट्रांजिट रिमांड के लिए अदालत क्यों नहीं ले जाया गया?

दसवां और सबसे अहम सवाल, मुठभेड़ से सिर्फ 10 मिनट पहले मीडिया को हाइवे पर क्यों रोका गया? जब मौके पर मौजूद संवाददाताओं ने पुलिस से सवाल पूछा, तो क्यों कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया?

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