Vikas Dubey encounter: पुलिस का कहना है कि एसटीएफ की गाड़ी पलटते ही विकास ने घायल पुलिसकर्मियों का हथियार छीनकर भागने की कोशिश की और मारा गया. सवाल ये है कि क्या वाकेई ये एनकाउंटर वैसा ही है जैसा यूपी पुलिस बता रही है? इस पूरे मामले में पुलिस ने पांच अपराधियों को मारा और सबको एनकाउंटर का नाम दिया, सबकी कहानी भी एक जैसी सुनाई. कहीं टायर खराब हुआ तो कहीं गाड़ी पलट गई और फिर अपराधी ने भागने की कोशिश की और मारा गया.
कानपुर: Vikas Dubey encounter: आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के आरोपी विकास दुबे(Vikas Dubey) का भी आखिरकार वही हश्र हुआ जिसकी हर कोई संभावना जता रहा था. बीती रात मध्य प्रदेश से उत्तर प्रदेश लाने के दौरान यूपी पुलिस ने कानपुर पहुंचने से पहले विकास दुबे को एनकाउंटर(Vikas Dubey encounter) में मार गिराया. किसी फिल्म की स्क्रिप्ट की तरह पुलिस ने एक बार फिर कहानी सुना दी कि विकास दुबे को लाने तीन गाड़ियां गई थी. कानपुर पहुंचने से एक गाड़ी पलट गई जिसमें विकास दुबे थे. इस दौरान उसने भागने की कोशिश की और जिसके बाद मजबूरी में पुलिस को गोली चलानी पड़ी जिसमें विकास दुबे मारा गया.
पुलिस का कहना है कि एसटीएफ की गाड़ी पलटते ही विकास ने घायल पुलिसकर्मियों का हथियार छीनकर भागने की कोशिश की और मारा गया. सवाल ये है कि क्या वाकेई ये एनकाउंटर वैसा ही है जैसा यूपी पुलिस बता रही है? इस पूरे मामले में पुलिस ने पांच अपराधियों को मारा और सबको एनकाउंटर का नाम दिया, सबकी कहानी भी एक जैसी सुनाई. कहीं टायर खराब हुआ तो कहीं गाड़ी पलट गई और फिर अपराधी ने भागने की कोशिश की और मारा गया.
विकास दुबे एक अपराधी थी जिसके सिर पर आठ पुलिसकर्मियों समेत कई लोगों की हत्या, हत्या की कोशिश जैसे केस दर्ज थे. लेकिन हमारी न्याय व्यवस्था में अपराधी को अदालत के जरिए सजा देने का प्रावधान है. सरेआम लोगों की हत्या करने वाले आतंकी आमिर अजमल कसाब को भी हमारे देश की न्यायिक व्यवस्था के जरिए ही फांसी दी गई. वैसे ही याकूब मैनन हो या फिर अफजल गुरू… पिछले दिनों निर्भया के दोषियों को भी पूरी न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही फांसी दी गई. इस तरह अपराधी को बिना अदालत में पेश किए सरेआम एनकाउंटर के नाम पर मार दिया जाता है तो ये हमारी न्यायिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर देगा.
विकास दुबे की बात करें तो उसने 20 सालों में जिस तरह अपना सामराज्य फैलाया था जिसे देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसके उपर कई नेताओं और अधिकारियों का हाथ था. अगर वो पकड़ा जाता और पूछताछ होती तो इन सभी नेताओं और अधिकारियों के नाम सार्वजनिक होते. लोगों को पता चलता कि ये अपराधी कैसे इतने बड़े बन जाते हैं. लेकिन ऐसा लगता है कि विकास दुबे की मौत एक स्क्रिप्ट के तहत लिखी गई और उसे अंजाम दिया गया.