Vikas Dubey case: दोनों निलंबित पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. एसएसपी ने दिनेश कुमार ने कहा कि पुलिस के काम में बाधा डालने वाले को बख्शा नहीं जाएगा फिर चाहे बाधा डालने वाला कोई पुलिसवाला ही क्यों ना हो. एसओ विनय तिवारी शुरू से ही इस पूरी घटना के दौरान शक के घेरे में हैं.
लखनऊ: विकास दुबे की मुखबिरी के शक में यूपी पुलिस ने चौबेपुर थाने के सस्पेंड चल रहे एसओ विनय तिवारी और बीट प्रभारी केके शर्मा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. मामले की जांच कर रही टीम को इन दोनों पर शक है कि इन्होंने ही विकास दूबे को पुलिस एक्शन की जानकारी दी थी. इसके बाद विकास ने पुलिस पार्टी पर हमला किया जिसमें आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. इससे पहले कानपुर एसएसपी दिनेश कुमार पी अपने बयान में कहा था कि जांच के दौरान पाया गया कि विनय तिवारी और केके शर्मा ने ही पुलिस कार्रवाई की जानकारी पहले ही विकास दुबे को दी थी.
दोनों निलंबित पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. एसएसपी ने दिनेश कुमार ने कहा कि पुलिस के काम में बाधा डालने वाले को बख्शा नहीं जाएगा फिर चाहे बाधा डालने वाला कोई पुलिसवाला ही क्यों ना हो. एसओ विनय तिवारी शुरू से ही इस पूरी घटना के दौरान शक के घेरे में हैं. बताया जा रहा है कि विनय तिवारी उस टीम में सबसे पीछे चल रहा था जिसपर हमला हुआ. इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि एनकाउंट के दौरान विनय तिवारी जेसीबी के पीछे छिपा हुआ था.
बताया जा रहा है कि सीओ बिल्हौर रहे देवेंद्र मिश्र ने 14 मार्च 2020 को चौबेपुर थाने के निरिक्षण के बाद अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 13 मार्च को विकास दुबे के खिलाफ वसूली के लिए धमकी, बलवा, मारपीट, जान से मारने की धमकी की एफआईआर दर्ज हुई थी. जांच चौबेपुर थाने के दरोगा अजहर इशरत को सौंपी गई थी. इसके बाद विवेचक अजहर ने मुकदमे से वसूली के लिए जान से मारने की धमकी देने की धारा 386 हटा दी. सीओ ने पूछा तो दरोगा ने बताया कि थानेदार के कहने पर धारा हटाई गई.
इसी दिन सीओ ने चौबेपुर थानेदार रहे विनय तिवारी के खिलाफ एसएसपी को रिपोर्ट भेजी जिसमें लिखा कि एक दबंग कुख्यात अपराधी के विरुद्ध थानाध्यक्ष द्वारा सहानुभूति रखना अब तक कार्रवाई ना करना सत्य निष्ठा को संदिग्ध करता है. सीओ की रिपोर्ट के मुताबिक निलंबित थानेदार विनय तिवारी का विकास दुबे के घर आना जाना था. रिपोर्ट में ये भी कहा गया था कि यदि थानेदार के खिलाफ कार्रवाई न की गई तो कोई गंभीर घटना हो सकती है. बताया जाता है कि यह रिपोर्ट पुलिस कार्यालय आई और फाइलों में दबकर रह गई, नतीजा यह निकला कि विकास दुबे बेखौफ हो गया तो सीओ समेत 8 पुलिस कर्मचारियों की हत्या कर दी.
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