कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी, बीजेपी के बीच शराब कारोबारी विजय माल्या को लेकर आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है. वहीं कांग्रेस ने यूपीए-2 कार्यकाल में नियमों की अनदेखी करते हुए विजय माल्या को संसदीय समिति का सदस्य नियुक्त किया था.
नई दिल्ली. कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी, बीजेपी के बीच शराब कारोबारी विजय माल्या के बयान को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है. जिसमें विजय माल्या ने कहा था कि वह देश छोड़ने से पहले वित्तमंत्री अरुण जेटली से मिले थे. एक तरफ खुद कांग्रेस ने सभी नियमों की अनदेखी करते हुए 2010 में विजय माल्या को संसदीय समिति का सदस्य बनाया था. इस दौरान विजय माल्या को कांग्रेस ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय की सलाहकार समिति का सदस्य बनाया गया था. इस समय देश में मनमोहन सिंह की यूपीए-2 की सरकार थी.
2010 में उस दौरान एनसीपी के नेता प्रफुल्ल पटेल नागरिक उड्डयन मंत्री थे. नियम के अनुसार जिस संसदीय समिति के लिए सदस्य चुना जा रहा है उस व्यक्ति को नहीं चुना जाता जो खुद उस क्षेत्र से जुड़ा हो या उसका निजी कारोबारी हित जुड़ा हो. विजय माल्या किंगफिशर एयरलाइन्स के मालिक हैं. इन गंभीर नियमों को अनदेखा कर यूपीए के काल में विजय माल्या को नागरिक उड्डयन मंत्रालय की सलाहकार समिति का सदस्य बनाया गया था.
गौरतलब हो कि जब भी ऐसी संसदीय समिति का गठन होता है तब मंत्रालय के सलाहकार समिति का गठन विभागीय मंत्री करते हैं. इसके लिए लोकसभा या राज्यसभा में विभिन्न दलों के नेताओं को पत्र लिखकर उनसे नाम की सिफारिश मांगी जाती है और पूरी प्रक्रिया के बाद समिति का गठन होता है. बता दें विजय माल्या 2002 में कर्नाटक के निर्दलीय सासंद के तौर पर चुनाव जीतकर जेडीएस और कांग्रेस का समर्थन प्राप्त कर राज्यसभा पहुंचे थे.
दूसरी बार भी माल्या निर्दलीय तौर पर चुनाव जीतकर राज्यसभा पहुंचे थे. इसके बाद ही विजय माल्या को उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल द्वारा विमानन मंत्रालय की सलाहकार (परामर्शदातृ) समिति का सदस्य बनाया गया था. बता दें बैंकों के करीब 9000 करोड़ रुपये लेकर फरार चल रहे विजय माल्या फिलहाल लंदन में रह रहे हैं.
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