Vidyasagar Maharaj: ब्रम्हलीन हुए जैन मुनि आचार्य विद्यासागर महाराज, तीन दिन के उपवास के बाद हुआ देह त्याग

नई दिल्लीः आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ब्रम्हलीन हो गए हैं। बीते रात 2:30 बजे समाधि ले ली है। उन्होंने छत्तीसगढ़ के डूंगरगढ़ में चंद्रगिरि तारतार में अंतिम सांस ली। आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के देह त्यागने से देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है। आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का अंतिम संस्कार आज यानी 18 फरफरी को दुपहर एक बजे किया जाएगा।

देशभर में शोक की लहर

आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के देह त्यागने से देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है। श्री आचार्य पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ हैं। पिछले तीन दिनों से उन्हें खाना या पानी त्याग दिया था. आचार्य अपनी अंतिम सांस तक सचेत रहे और उन्होंने मंत्रों का जाप करते हुए अपना शरीर त्याग दिया।

हजारों शिष्य डोंगरगढ़ के लिए रवाना

समाधि के समय पूज्य मुनिश्री योगसागर जी महाराज, श्री समतासागर जी महाराज, श्री प्रसादसागर जी महाराज एवं ससंघ उनके साथ थे। देशभर में जैन समुदाय और आचार्यश्री के अनुयायियों ने उनके सम्मान में आज एक दिन के लिए अपने प्रतिष्ठान बंद रखने का फैसला किया है। यह जानकारी मिलने पर आचार्यश्री के हजारों शिष्य डोंगरगढ़ गए हैं।

कर्नाटक में जन्मे थे आचार्य श्री विद्यासागर महाराज

आचार्य जी का जन्म 10 अक्टूबर, 1946 को कर्नाटक के बेलगावी जिले के सदलगा गांव में हुआ था। 30 जून, 1968 को उन्होंने राजस्थान के अजमेर शहर में अपने गुरु आचार्यश्री ज्ञानसागर जी महाराज से मुनिदीक्षा प्राप्त की। उनके घोर पश्चाताप को देखकर आचार्यश्री ज्ञान सागर जी महाराज ने उन्हें आचार्य पद प्रदान किया था।

आचार्यश्री 1975 के आसपास बुंदेलखंड आए थे। वे बुंदेलखंड के जैन समुदाय के समर्पण और भक्ति से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपना अधिकांश समय बुंदेलखंड में ही बिताया। आचार्यश्री ने लगभग 350 दीक्षाएं दीं। उनके शिष्य पूरे देश में घूम-घूमकर जैन धर्म का प्रचार करते हैं।

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