नई दिल्ली। मोबाइल गेम्स खासकर पबजी की लत ने बच्चों के स्वभाव को अपराधी और गुस्सैल बना दिया है। विश्व स्तर पर इस खेल के कारण घातकता के कई मामले सामने आए हैं। इसी साल जनवरी में पबजी के आदी एक बच्चे ने अपनी मां और तीन भाई-बहनों की हत्या कर दी थी। वाशिंगटन में […]
नई दिल्ली। मोबाइल गेम्स खासकर पबजी की लत ने बच्चों के स्वभाव को अपराधी और गुस्सैल बना दिया है। विश्व स्तर पर इस खेल के कारण घातकता के कई मामले सामने आए हैं। इसी साल जनवरी में पबजी के आदी एक बच्चे ने अपनी मां और तीन भाई-बहनों की हत्या कर दी थी। वाशिंगटन में भी इसी तरह के मामले देखे गए।
भारत में मामले
भारत की बात करें तो इस तरह के मामले अक्सर सामने आते रहे हैं। सितंबर 2019 में, कर्नाटक में एक 21 वर्षीय युवक ने अपने पिता को सिर्फ इसलिए मार डाला क्योंकि उसने PUBG खेलते समय मोबाइल फोन छीन लिया था।
जुलाई 2021 में इसी तरह के नशे के आदी युवक ने बंगाल में मोबाइल गेम को लेकर हुई बहस में अपने भाई की हत्या कर दी थी। ऐसे कई मामले हैं, जो संकेत देते हैं कि बच्चों में मोबाइल फोन की बढ़ती उपलब्धता और आक्रामक खेलों की लत गंभीर रूप लेती जा रही है।
हाल ही में एक बच्चे ने गेम के चक्कर में 37 लाख उड़ा दिय थे।
पबजी और ऐसे अन्य मोबाइल गेम्स को विशेषज्ञ और शोधकर्ता एक बड़े खतरे के रूप में देखते हैं।
पबजी की लत बच्चों के लिए किसी खतरनाक दुश्मन से कम नहीं है। इस तरह के खेल बच्चों में हर तरह की नकारात्मक सोच को इतना प्रोत्साहित करते हैं कि समय के साथ-साथ बच्चों में आपराधिक मानसिकता का पोषण होता जाता है। माता-पिता को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे मोबाइल पर किस तरह का कंटेंट देख रहे हैं और यह उनके जीवन को कैसे प्रभावित कर सकता है।
पीएमसी जर्नल में वर्ष 2020 में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि PUBG की लत हत्या और आत्महत्या की प्रवृत्ति को बढ़ावा देती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि किशोरों और वयस्कों में मनोवैज्ञानिक पूर्वाग्रह की स्थिति हो सकती है। इस तरह के वीडियोगेम पर दिन में कई घंटे बिताने से मस्तिष्क की गेम बनाने की प्रवृत्ति बदल जाती है। पबजी जैसे गेम आक्रामकता को बढ़ावा देते हैं, इसलिए इसकी लत गंभीर हो सकती है।
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