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जम्मू-कश्मीर के भद्रवाह में वासुकी नाग मंदिर में हुई तोड़फोड़, हिंदू संगठन सड़कों पर उतरे

जम्मू। जम्मू संभाग के डोडा जिले के प्राचीन वासुकी नाग मंदिर में तोड़फोड़ का मामला सामने आया है। इसे लेकर लोगों में जबरदस्त गुस्सा देखा जा रहा है। कई हिंदू संगठन सड़क पर उतर आए हैं। उन्होंने नारेबाजी की और मंदिर को निशाना बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। वासुकी नाग मंदिर […]

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  • June 6, 2022 12:39 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

जम्मू। जम्मू संभाग के डोडा जिले के प्राचीन वासुकी नाग मंदिर में तोड़फोड़ का मामला सामने आया है। इसे लेकर लोगों में जबरदस्त गुस्सा देखा जा रहा है। कई हिंदू संगठन सड़क पर उतर आए हैं। उन्होंने नारेबाजी की और मंदिर को निशाना बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

वासुकी नाग मंदिर भद्रवाह को भद्रकाशी के नाम से भी जाना जाता है। तोड़फोड़ रविवार देर रात या सोमवार तड़के हुई। बताया जा रहा है कि पुजारी सुबह जब मंदिर पहुंचे तो वहां का हाल देख दंग रह गए। मंदिर को बाहर से अंदर तक तोड़ा गया है।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि प्रदेश के मंदिरों को कुछ शरारती तत्वों द्वारा दिन-ब-दिन निशाना बनाया जा रहा है और सांप्रदायिक माहौल खराब करने की कोशिश की जा रही है। ऐसे लोगों के खिलाफ सरकार और प्रशासन को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि वे दोबारा ऐसी हरकत न करें। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की तो वे राज्य की सड़कों पर उतरकर पहिया रोक देंगे।

भगवान वासुकी को नागों का राजा माना जाता है

डोडा जिले का भद्रवाह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक विरासत के लिए मिनी कश्मीर के रूप में लोकप्रिय है। देवदार के पेड़ों से घिरे भद्रवाह में प्राकृतिक स्थलों के अलावा भी कई धार्मिक स्थल हैं, जिन पर लोगों की गहरी आस्था है। इन धार्मिक स्थलों में एक वासुकी नाग मंदिर भी एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह मंदिर कश्यप और कद्रू के पुत्र वासुकी को समर्पित है। भगवान वासुकी को नागों का राजा माना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार वासुकी नागों के राजा हुआ करते थे, जिनके माथे पर नागमणि थी।

वासुकी नाग मंदिर को वास्तुकला और मूर्तिकला का अद्भुत नमूना माना जाता है। मंदिर में भगवान वासुकी नाग और राजा जमुट वाहन की मूर्ति स्थापित है। दोनों मूर्तियों को एक ही पत्थर पर उकेरा गया है। नागराज वासुकी का निवास कैलाश कुंड है, जिसे वासुकी कुंड के नाम से भी जाना जाता है।जो वासुकी नाग मंदिर से ज्यादा दूर नहीं है। यहां हर साल हजारों की संख्या में दूर-दूर से श्रद्धालु भगवान वासुकी के दर्शन के लिए आते हैं।

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