नई दिल्ली : पीएम नरेंद्र दामोदरदास मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी और उनके गृह नगर वडनगर के बीच कुछ पुराना संबंध है. यह दोनों शहरों के इतिहास, संस्कृति और पलायन का है . वाराणसी ने पीएम के गृह नगर वाडनगर को ज्ञान और कला के केंद्र के रूप में स्थापित किया. करीब 2 हजार साल […]
नई दिल्ली : पीएम नरेंद्र दामोदरदास मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी और उनके गृह नगर वडनगर के बीच कुछ पुराना संबंध है. यह दोनों शहरों के इतिहास, संस्कृति और पलायन का है . वाराणसी ने पीएम के गृह नगर वाडनगर को ज्ञान और कला के केंद्र के रूप में स्थापित किया. करीब 2 हजार साल पूर्व बौद्ध भिक्षुओं ने वाराणसी के सारनाथ से गुजरात के वडनगर की यात्रा की थी. बौद्ध भिक्षुओं की ये यात्रा मथुरा से सांची होते हुए वडनगर पहुंची थी. क्योंकि इन दोनों ही जगहों पर वडनगर से जुड़े प्रमाण मिलते है.
वडनगर में खंडहरों और पुरातात्विक खुदाई से यह पता चलता है कि पांचवीं शताब्दी तक आते-आते वडनगर बौद्ध संस्कृति का एक बड़ा केंद्र बनकर उभरा. आज टूट चूके दोनों शहरों के बीच हजारों साल के इन प्राचीन संबंधों को फिर से संजोने की मुहिम शुरू होने वाली है. केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय और गुजरात क संस्कृति विभाग के साथ बीएचएयू ने एक समझौता किया है.
समझौते के बाद इतिहासकारों और पुरातत्त्ववेत्ता की एक टीम गठित की गई है जो रिसर्च करेगी. ये टीम गुजराते जाएगी और वाराणसी के संबंधों और प्रमाणों और साक्ष्यों को खोजने की कोशिश करेगी. टीम जो गठित की गई है वे पता लगाएगी कि वडनगर की खुदाई में मिले साक्ष्यों का सारनाथ से क्या संबंध है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बीएचएयू के वरिष्ठ दर्शन शास्त्री प्रो. मुकुलराज मेहता के नेतृत्व में एक रिसर्च टीम का गठन किया गया है. कला इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो. अतुल कुमार त्रिपाठी, पुराविद प्रो. विदुला जायसवाल को प्रोजेक्ट एडवाइजर और पालि-बौद्ध विभाग के विशेषज्ञ प्रो. लालजी को परिजोजना का सह प्रभारी बनाया गया है. रिसर्च के दौरान इनके अलावा कला, विज्ञान वास्तु आदि कई विषयों के विशेषज्ञों की जरूरत के अनुसार सहायता ली जाएगी.
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