वाराणसी में रामलीला के मंचन के दौरान राम और लक्षमण की भूमिका निभा रहे कालाकारों को एक दृशय के लिए तालाब में उतरना था लेकिन तालाब की गंदगी और बदबू देखकर दोनों भाईयों को उल्टियां होने लगीं जिसके बाद वे धरने पर बैठ गए. उन्हें काफी देर मनाया गया और सफाई का आश्वासन दिया गया तब वे उठे.
वाराणसी. उत्तर प्रदेश के वाराणसी में रामलीला मंचन के दौरान शनिवार को सभी हतप्रभ रह गए जब राम और लक्ष्मण धरने पर बैठ गए. रामलीली में राम लक्ष्मण बने युवाओं के धरने पर बैठने के बाद उनसे काफी देर मिन्नतें की गईं तब दो घंटे बाद उन्होंने अपना धरना वापस लिया. दरअसल, दोनों भाई धनेसरा तालाब की गंदगी से परेशान होकर धरने पर बैठे थे. धनेसरा तालाब के पास ऐतिहासिक लाट भैरो रामलीला देखने के लिए ढेरों लोग जमा हुए थे. लेकिन वहां राम केवट संवाद के मंचन की जगह दर्शकों को कुछ और ही देखने को मिला. राम और लक्षमण को धरने पर बैठा देख लोग चौंक गए.
दरअसल अदमपुरा इलाके में स्थित लाट भैरो मंदिर में ही रामलीला के अधिकतर दृश्यों का मंचन होता है. ऐसे में नाटक को रियल दिखाने के लिए राम-केवट के बीच के संवाद के मंचन को तालाब में किया जाता है लेकिन जब केवट राम, लक्ष्मण और सीता को गंगा पार कराने गए तो तालाब कूड़े से भरा पड़ा था और बुरी तरह दुर्गंध आ रही थी. हालत इतनी बुरी थी कि राम और लक्षमण के उल्टियां होने लगी थीं जिससे गुस्साकर वे धरने पर बैठ गए.
इस धरने के चलते कमिटी के अध्यक्ष राम अवतार पांडे को वहां पहुंचना पड़ा. राम अवतार ने तुरंत नगर पालिका आयुक्त को फोन किया. कालाकारों को मनाया गया और सफाई का आश्वासन दिया गया तब जाकर वे 2 घंटों के बाद धरने पर से उठे. कमिटी के अध्यक्ष राम अवतार पांडे ने कहा कि यहां सन 1545 से राम लीला हो रही है लेकिन इस तरह की परेशानी पहले कभी नहीं आई. लेकिन तालाब के पास रहने वाले रामलीला बंद कराना चाहते हैं इसलिए तालाब को गंदा कर रहे हैं.
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