नई दिल्लीः व्यासजी के तहखाने के अलावा ज्ञानवापी में कई तहखाने हैं। इसमें से चार तहखाने सील कर दिए गए। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह बात कही है. ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) तकनीक से एएसआई की जांच में पता चला कि प्लेटफॉर्म एरिया में प्लेटफॉर्म के नीचे कई तहखानों हैं। […]
नई दिल्लीः व्यासजी के तहखाने के अलावा ज्ञानवापी में कई तहखाने हैं। इसमें से चार तहखाने सील कर दिए गए। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह बात कही है. ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) तकनीक से एएसआई की जांच में पता चला कि प्लेटफॉर्म एरिया में प्लेटफॉर्म के नीचे कई तहखानों हैं। इसका ऊपरी हिस्सा खुला है, लेकिन निचली परत मलबे से ढकी हुई है। इसे मलबे से ढककर सील कर दिया गया।
मंच के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में कई खोखले या आंशिक रूप से भरे हुए तीन मीटर चौड़े तहखाने देखने को मिले हैं। इसमें 9 वर्गमीटर आकार के कमरे हैं, जो एक मीटर मोटी दीवारें हैं। इन बड़े तहखानों में दक्षिणी दीवार की ओर खुले स्थान हैं, जिन्हें अब बंद कर दिया गया है। क्योंकि जीपीआर सिग्नलों में 1-2 मीटर चौड़े अलग-अलग पैच नजर आएं हैं।
तहखाने के उत्तर की ओर खुले कार्यात्मक दरवाजे हैं। पूर्वी हिस्से में 2 मीटर चौड़ाई के 3 से 4 तहखाने मिले हैं और पूर्वी दीवार की मोटाई अलग-अलग है। गलियारे क्षेत्र से सटे, मंच के पश्चिमी किनारे पर 3 से 4 मीटर चौड़े तहखानों की दो पंक्तियां नजर आईं हैं। तहखाने के अंदर छिपा हुआ कुआं दो मीटर चौड़ा है और दक्षिणी तरफ एक अतिरिक्त कुएं के निशान प्राप्त हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि तहखाने की दीवारों की जीपीआर स्कैनिंग से छिपे हुए कुएं और गलियारे के अस्तित्व का भी पता चलता है। जीपीआर में दिखाया गया कि दक्षिणी तहखाने का दरवाजा एक दीवार से सील है।
बता दें एएसआई ने सर्वे के दौरान सफाई, लेबलिंग, वर्गीकरण और नाजुक व खराब वस्तुओं का परीक्षण हुआ था। इसके लिए उसी परिसर में एक क्षेत्रीय प्रयोगशाला स्थापित की गई थी। इसमें धातु सहित दूसरी सामग्रियों की जांच में सहायता मिली थी।
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