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उत्तराखंड: नो पार्किंग जोन में खड़ी की कार तो कटा भारतीय राजदूत भगवंत विश्नोई का चालान और फिर…

भगवंत बिश्नोई उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को निवेश कैसे बढ़ाया जाए, इसकी सलाह देने आए थे. उन्होंने जहां अपना वाहन खड़ा किया, वह नो पार्किंग जोन था. उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी. ट्रैफिक पुलिस ने वाहन खड़ा देखकर चालान काट दिया. इसके बाद भगवंत विश्नोई ने क्या किया इसकी चर्चा चारों तरफ हो रही है.

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traffic police indian ambassador bhagwant singh bishnoi
  • February 2, 2018 11:21 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. आमतौर पर रौब दिखाकर पुलिस से काम कराना लोगों के टशन का हिस्सा होता है लेकिन हर कोई रौब से काम नहीं कराता. बैंकॉक में पदस्थ भारतीय राजदूत ने अपनी गलती को इस तरह स्वीकार किया कि पुलिस को भी उनके पद के बारे में कानों कान भनक नहीं पड़ी. दरअसल भारतीय राजदूत भगवंत विश्नोई उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मिलने आए थे. भगवंत विश्नोई ने अपनी कार नो पार्किंग जोन में खड़ी कर दी थी. कार खड़ी करने के बाद वे अपने काम से चले गए. जब उन्होंने लौटकर देखा तो उनकी कार के शीशे पर चालान रखा हुआ था.

चालान देखने के बाद भगवंत विश्नोई सीधे ट्रैफिक पुलिस के ऑफिस पहुंचे. वहां बगैर अपना परिचय दिए चालान की रकम भरी और लौट आए. इस दौरान उन्होंने ना किसी को रौब दिखाया और ना ही अपने पद की जानकारी किसी को दी. भगवंत विश्नोई 1983 बैच के आईएफएस अधिकारी हैं. वो पूर्व में कई देशों में भारतीय राजदूत के तौर पर रह चुके हैं.

इस मामले के बाद में पता चलने पर उनकी सादगी की काफी तारीफें हो रही हैं. यह घटना भले ही छोटी लग रही हो लेकिन उन अधिकारियों के लिए सबक है जोकि अपने रुतबे का इस्तेमाल कर दबंग दिखने का प्रयास करते हैं. इतना ही नहीं कई लोगों को अपने पद और प्रतिष्ठा के बारे में जताने की इतनी तीव्र इच्छा होती है कि जब तक वे अपना रुतवा सामने वाले को न दिखा दें उन्हें चैन नहीं पड़ता. 

इससे पहले उत्तराखंड के डीजीपी अनिल रतूड़ी ने सादगी की मिशाल पेश की थी. पिछले साल नवंबर में ट्रैफिक नियम तोड़ने पर पुलिस कर्मियों ने डीजीपी को पहचाने बिना उनका चालान कर दिया था. डीजीपी ने विनम्रता दिखाते हुए चालान की रकम पुलिस कर्मियों को दे दी थी. लेकिन लाइसेंस देख डीडीपी को पहचानने के बाद पुलिस वालों के होश उड़ गए थे. 

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