नई दिल्लीः उतराखंड सीएम पुष्कर सिंह धामी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अलपसंख्यक वर्ग के लिए धरातल में योजनाएं बनाकर विकास की राह खोल रहे हैं। इसी बीच राज्य मदरसा बोर्ड अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी के बयान पर हंगामा मच गया है। उन्होंने कहा कि वह उत्तराखंड में गाय, गंगा व हिमाचल की रक्षा के लिए मुस्लिम समाज से अभियान चलवाएंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि मदरसों में धार्मिक शिक्षा के साथ योग, वेद और भारतीय महापुरुषों की जीवनी को भी पढ़ाया जाएगा। वहीं मदरसा बोर्ड के बयान पर उत्तराखंड जमीयत उलेमा ए हिंद कड़ा विरोध कर रही है।
उत्तराखंड मदरसा बोर्ड अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी कलियर दरगाह साबिर पाक का दर्शन करने के लिए पहुंचे थे। कासमी ने कहा कि साबिर पाक की दरगाह केवल मुस्लिम समुदाय के लिए ही नहीं बल्कि हर धर्म के मानने वाले लोगों के लिए आस्था की चिन्ह है। इस दौरान उन्होंने कहा कि मदरसों में वेद और संस्कृत को भी पढ़ाया जाएगा। उनके इस बयान का जमीयत उलेमा हिंद ने विरोध किया है।
जमीयत उलेमा हिंद के प्रदेश प्रमुख मौलाना मुहम्मद आरिफ कासमी ने कहा कि उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष ने लंढौरा में जो बयान दिया है। उसमें उन्होंने संस्कृत और वेद को मदरसों के पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात कही है। हमलोग इसका कड़ा विरोध करते है।
जमीयत किसी भाषा और इल्म की विरोधी नहीं है लेकिन अरबी मदरसों में संस्कृत और वेद की पढ़ाई को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस अवसर पर शायर अफजल मंगलौरी, शफक्कत अली, सनाउल्लाह गाजी, अनीस कस्सार, इमरान देशभक्त, अनीस आदि मौजूद रहे।
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