नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के बाद पतंजलि को उत्तराखंड सरकार से भी झटका लगा है। पतंजलि की दिव्य फार्मेसी कंपनी के 14 प्रोडक्ट्स पर बैन लगाया गया है। उत्तराखंड औषधि नियंत्रण विभाग के लाइसेंस प्राधिकरण ने इन उत्पादों पर भ्रामक विज्ञापन मामले में यह बैन लगाया है। उत्तराखंड सरकार ने इस कार्रवाई की जानकारी सुप्रीम […]
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के बाद पतंजलि को उत्तराखंड सरकार से भी झटका लगा है। पतंजलि की दिव्य फार्मेसी कंपनी के 14 प्रोडक्ट्स पर बैन लगाया गया है। उत्तराखंड औषधि नियंत्रण विभाग के लाइसेंस प्राधिकरण ने इन उत्पादों पर भ्रामक विज्ञापन मामले में यह बैन लगाया है। उत्तराखंड सरकार ने इस कार्रवाई की जानकारी सुप्रीम कोर्ट को भी दी और साथ ही एक हलफनामा दायर किया।
दिव्य फार्मेसी कंपनी के जिन 14 प्रोडक्ट्स पर तत्काल प्रभाव से बैन लगाया गया है, उनमें श्वासारि गोल्ड, श्वासारि वटी, दिव्य ब्रोंकोम, श्वासारि प्रवाही, श्वासारि अवलेह, मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पावर, लिपिडोम, बीपी ग्रिट, मधुग्रिट, मधुनाशिनी वटी एक्स्ट्रा पावर, लिवामृत एडवांस, लिवोग्रिट, आईग्रिट गोल्ड और पतंजलि दृष्टि आई ड्रॉप शामिल हैं।
नहीं अब ये प्रोडक्ट बाजार में देखने को नहीं मिलेंगे। बैन होने के बाद इन प्रोडक्ट्स का उत्पादन भी नहीं हो सकेगा।
उत्तराखंड सरकार की औषधि लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने एक आदेश जारी किया जिसमें यह कहा गया कि इन प्रोडक्ट से संबंधित भ्रामक विज्ञापन की अनेक शिकायतें संज्ञान में आने के बाद यह फैसला लिया गया। इन शिकायतों के संबंध में केंद्रीय आयुष मंत्रालय द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के बाद भी इनका उत्पादन किया गया। जो कि संबंधित नियमों, शर्तों, ड्रग्स एंव मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954 और ड्रग्स एवं कॉस्मेटिक एक्ट 1945 का उल्लंघन है।
27 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को ब्लडर प्रेशर, डायबिटीज, गठिया, अस्थमा और मोटापे जैसी बीमारियों के लिए उत्पादित दवाओं के विज्ञापन जारी करने पर रोक लगा दी थी। अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद और इसके डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया था। पतंजलि आयुर्वेद के कथित भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट आज यानी 30 अप्रैल को फिर पतंजलि के मामले की सुनवाई करेगा। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बाबा रामदेव के खिलाफ अवमानना का आरोप लगाया जाना चाहिए या नहीं।
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