उत्तर प्रदेश: मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा पर 250 करोड़ रूपए खर्च करेगी योगी आदित्यनाथ सरकार

केंद्र सरकार द्वारा हज के लिए सब्सिडी समाप्त करने के बाद अब उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने हिस्से की सब्सिडी के बराबर 250 करोड़ रुपये की राशि मुस्लिम कन्या शिक्षा पर खर्च करने का फैसला किया है. इस योजना का मकसद सिर्फ और सिर्फ यह हैं कि मुस्लिम लड़कियां विश्वविद्यालय या कॉलेज स्तर की पढ़ाई पूरी कर सकें. केंद्र सरकार द्वारा हज यात्रा पर जाने वाले मुस्लिमों की 700 करोड़ रुपए की सब्सिडी खत्म कर चुके है. और अब यूपी की सरकार के उठाए इस कदम से मुस्लिम कन्याएं अपनी शिक्षा पूरी कर पाएंगी.

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उत्तर प्रदेश: मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा पर 250 करोड़ रूपए खर्च करेगी योगी आदित्यनाथ सरकार

Aanchal Pandey

  • February 4, 2018 2:30 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. देश में मुस्लिम लड़कियों को उच्च शिक्षा के मकसद से प्रोत्साहित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 250 करोड़ रुपये की राशि मुस्लिम कन्या की शिक्षा पर खर्च करने का फैसला किया है. केंद्र सरकार द्वारा हज यात्रा के लिए दी जाने वाली 700 करोड़ रुपये की सब्सिडी खत्म करने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने हिस्से की सब्सिडी के बराबर 250 करोड़ रुपये की राशि मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा पर खर्च करेगी. यूपी के हज, वक्फ एवं अल्पसंख्यक कल्याण मामलों के मंत्री चौ. लक्ष्मीनारायण ने शनिवार को यह जानकारी दी कि सरकार का सीधा-सीधा इरादा अल्पसंख्यक कल्याण की योजनाओं को बढ़ावा देना है.

इस राशि से मदरसे से लेकर परास्नातक तक शिक्षा पा रहीं मुस्लिम छात्राओं को वजीफा एवं उच्च शिक्षा के लिए मेडिकल एवं इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश का खर्च भी उत्तर प्रदेश सरकार उठाएगी.उन्होंने आगे बताया, ‘राज्य सरकार ने इसके अलावा प्रदेश में अल्पसंख्यक कल्याण के लिए जारी अन्य योजनाओं में अधिक आबादी को लाभ पहुंचाने के लिये इन योजनाओं को लागू करने के मानकों में भी रियायत देने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के समक्ष रखा है, जिसे मान लिया गया है.’

मंत्री चौ. लक्ष्मीनारायण ने कहा, ‘अब यह केंद्र सरकार को तय करना है कि वह एक-चौथाई मुस्लिम आबादी होने पर भी जिले में अल्पसंख्यक कल्याण की योजनाएं संचालित करने के मानक में किस हद तक और क्या परिवर्तन करती है. मुस्लिम समाज के एक बड़े हिस्से में आज भी मुस्लिम बच्चियों को उच्च शिक्षा नहीं मिल पाती है. इसकी एक बड़ी वजह आर्थिक तंगी है. हमारा मकसद बच्चियों और खासकर अभिभावकों को प्रोत्साहित करना है कि लड़कियां कम से कम परास्नातक स्तर की पढ़ाई पूरी करें.

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