लखनऊ: यूपी में दोबारा सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री आदित्यनाथ फुल एक्शन मोड़ में हैं। वे लगातार प्रदेश में बड़े-बड़े फेरबदल कर रहें है। कल शाम उन्होंने अहम फैसला लेते प्रदेश के डीजीपी मुकुल गोयल को उनके पद से हटाकर उन्हें एक नई जिम्मेदारी दी। आईपीएस अफसर को डीजी सिविल डिफेंस के पद पर […]
लखनऊ: यूपी में दोबारा सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री आदित्यनाथ फुल एक्शन मोड़ में हैं। वे लगातार प्रदेश में बड़े-बड़े फेरबदल कर रहें है। कल शाम उन्होंने अहम फैसला लेते प्रदेश के डीजीपी मुकुल गोयल को उनके पद से हटाकर उन्हें एक नई जिम्मेदारी दी। आईपीएस अफसर को डीजी सिविल डिफेंस के पद पर भेजा गया है। मुकुल गोयल को डीजीपी पद से हटाए जाने के बाद प्रदेश में नया डीजीपी कौन होगा, इसको लेकर अटकलें लगने लगी है। बताया जा रहा है कि इस दौड़ में सबसे ऊपर डीजी इंटेलीजेंस डॉक्टर डीएस चौहान का नाम हैं। वह 1998 बैच के आईपीएस अधिकारी है और वर्तमान में डीजी इंटेलीजेंस के रूप में काम कर रहे हैं। हालांकि चौहान से पहले कई अफसर सीनियर है लेकिन इसमें से कुछ अफसर जल्द ही रिटायर हो जाएंगे। राज्य सरकार डीजीपी की नियुक्ति के लिए केंद्र को एक पैनल भेजेगी और उसकी मंजूरी मिलने के बाद प्रदेश में नए डीजीपी के नाम का पता लगेगा।
जानकारी के मुताबिक डॉक्टर डीएस चौहान के पास उत्तरप्रदेश के सतर्कता प्रतिष्ठान का भी जिम्मा है और वे 1998 बैच के आईपीएस अधिकारी है। जबकि हटाए गए डीजीपी मुकुल गोयल 1987 बैच के आईपीएस अफसर है। यूपी में अभी 1987 के अफसरों में डीजी ट्रेनिंग डॉ आरपी सिंह, डीजी सिविल डिफेंस बिश्वजीत महापात्र, डीजी सीबीसीआईडी गोपाल लाल मीणा मौजूद हैं. जबकि 1988 बैच में पांच आईपीएस हैं, जिसमें सीनियर लिस्ट में डॉ राजकुमार विश्वकर्मा
पहले स्थान पर हैं और वह वर्तमान में उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष हैं.
इसके बाद सीनियरिटी लिस्ट में डीजी इंटेलीजेंस डॉ देवेंद्र सिंह चौहान का नाम है. 1988 बैच के तीन अन्य अधिकारियों में अनिल कुमार अग्रवाल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं, जबकि आनंद कुमार डीजी जेल और विजय कुमार डीजी होमगार्ड के पद पर कार्यरत हैं
उत्तरप्रदेश में 1987 और 1988 बैच के कई आईपीएस अधिकारी अपनी सेवाएं दे रहे है. लेकिन नियम कहता है कि डीजीपी के रिटायरमेंट में ज्यादा समय होना चाहिए. अगर यूपी सरकार इस नियम को लागू करती है तो जल्द रिटायर होने वाले अफसरों को झटका लग सकता है. राज्य सरकार वरिष्ठता के आधार पर पैनल तैयार कर केंद्र सरकार को भेजेगी और केन्द्र की मंजूरी मिलने के ही राज्य में नए डीजीपी की नियुक्ति होगी।
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