October 31, 2024
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Uttar Pradesh: किसान आंदोलन के बीच यूपी सरकार ने 6 महीने के लिए हड़ताल पर लगाई पाबंदी

Uttar Pradesh: किसान आंदोलन के बीच यूपी सरकार ने 6 महीने के लिए हड़ताल पर लगाई पाबंदी

  • WRITTEN BY: Nidhi Kushwaha
  • LAST UPDATED : February 16, 2024, 8:20 pm IST
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नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) सरकार ने पंजाब और हरियाणा के किसानों के आंदोलन के बीच राज्य में छह महीने के लिए हड़ताल पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी है। अब ये नियम राज्य सरकार के अधीन सरकारी विभागों, निगम और प्राधिकरण पर लागू रहेगा। बता दें कि अपर मुख्य सचिव कार्मिश डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने नोटिफिकेशन जारी किया है। जिसमें ये कहा गया है कि एस्मा एक्ट लगने के बाद भी अगर कोई कर्मचारी हड़ताल या प्रदर्शन करते हुए पाया जाता है, तो ऐसा करने वालों को एक्ट उल्लंघन के आरोप में बिना वारंट के गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

गौरतलब है कि यूपी सरकार(Uttar Pradesh) पहले भी इसी तरह के फैसले कर चुकी है। राज्य सरकार द्वारा 2023 में भी छह महीने के लिए हड़ताल पर बैन लगाया था। उस समय बिजली विभाग के कर्मचारी हड़ताल पर थे, जिस वजह से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने छह महीने तक हड़ताल पर प्रतिबंध लगाया था।

जानिए क्या है एस्मा?

दरअसल, एस्मा यानी एसेंशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट (Essential Services Management Act) कानून का इस्तेमाल उस वक्त किया जाता है, जब कर्मचारी हड़ताल पर होते हैं। तो उस अवधि में इस कानून का इस्तेमाल, हड़ताल को रोकने के लिए किया जाता है। विशेष बात ये है कि यह कानून अधिकतम छह महीने के लिए लगा सकते हैं।

फिर क्यों सड़कों पर उतरे किसान?

बता दें कि MSP पर लीगल गारंटी के साथ-साथ कई और मांगों को लेकर किसानों ने मोर्चा खोल दिया है। इस बार किसान संगठनों द्वारा 13 फरवरी को दिल्ली चलो मार्च का आह्वान किया गया था। लेकिन पुलिस ने पंजाब और हरियाणा बॉर्डर पर ही किसानों को रोक दिया। इससे पहले केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को लेकर देश में एक साल से भी लंबा किसान आंदोलन चल चुका है। जो कि 26 नवंबर 2020 से शुरू हुआ था। उस समय पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के किसान दिल्ली की सीमाओं पर जुटे हुए थे।

जानकारी के अनुसार, ये किसान तीनों कृषि कानूनों की वापसी पर अड़े थे। सालभर चले आंदोलन के बाद पिछले साल 19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कानूनों की वापसी की घोषणा की थी। फिलहाल इन तीनों कानूनों को वापस लिया जा चुका है। जिसके बाद, किसानों ने भी आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया था। हालांकि, संयुक्त किसान मोर्चा ने ये भी कहा था कि उनकी और भी मांगें हैं, जिन्हें अगर पूरा नहीं किया गया तो वो फिर से आंदोलन करेंगे।

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