उत्तर प्रदेश: लाठीचार्ज से तिलमिलाए किसानों ने गांव के बाहर लगाया बोर्ड, BJP वालों का गांव में घुसना मना है

अपनी मांगों को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन करने वाले किसान सरकार के दिए आश्वासन से तो संतुष्ट हैं ही नहीं, इसके साथ-साथ उन्होंने बीजेपी के विरोध करने का दूसरा तरीका भी ईजाद कर लिया है. जिसका उदाहरण यूपी के अमरोहा जिले के गांव में देखने को मिला है, जहां एक गांव के बाहर लगे एक बोर्ड पर साफ लिखा है कि बीजेपी के लोगों का इस गांव में आना मना है. ऐसे में लोकसभा 2019 चुनाव से पहले किसानों का विरोध भाजपा सरकार पर भारी और राहुल गांधी की कांग्रेस को फायदा भी पहुंचा सकता है.

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उत्तर प्रदेश: लाठीचार्ज से तिलमिलाए किसानों ने गांव के बाहर लगाया बोर्ड, BJP वालों का गांव में घुसना मना है

Aanchal Pandey

  • October 6, 2018 6:57 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

अमरोहा. किसान आंदोलन में अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतरे किसान बिजेपी सरकार के आश्वासन से संतुष्ट नहीं नजर आ रहे हैं. इसी वजह से अब सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करने वालों किसानों ने विरोध का दूसरा जरिया भी ढूंढ लिया है. उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में स्थित रसूलपुर गांव में लगा एक बोर्ड इस बात की गवाही भी दे रहा है. इस बोर्ड पर लिखा है कि बीजेपी वालों का इस गांव में घुसना मना है.

गौरतलब है कि गांव के बाहर लगा यह बोर्ड अब चर्चा का विषय बनता जा रहा है. बोर्ड पर किसान एकता के सौजन्य से लिखा गया है कि ” बीजेपी वालों का इस गांव में आना मना है, जान माल की स्वंय रक्षा करें.” बता दें कि लोकसभा चुनाव में अब ज्यादा समय बाकी नहीं है. ऐसे में इस तरह किसानों के विरोध करने का खामियाजा देश की नरेंद्र मोदी सरकार को भुगतना पड़ सकता है.

अगर हम उत्तर प्रदेश की ही बात करें तो काफी संख्या में किसान जाट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. वहीं राज्य के पश्चिमी भाग यानी वेस्ट यूपी में जाट वोटर्स की संख्या काफी अधिक है. जिसका बीजेपी पर सीधा असर लोकसभा चुनाव 2019 में देखने को मिल सकता है. इसका एक ताजा उदाहरण हाल ही में वेस्ट यूपी की कैराना सीट पर हु्आ उप-चुनाव भी है.

जहां बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था क्योंकि इलाके में रहने वाले जाट और मुस्लिम समुदाय के लोगों ने महागठबंधन की प्रत्याशी तब्बसुम हसन का सपोर्ट किया था. बता दें कि कैराना साल 2014 बीजेपी कैंडिडेट हुकुम सिंह ने भारी भरकम जीत हासिल की थी. लेकिन कुछ समय पहले उनकी अचानक मृत्यु हो गई और इस सीट पर उप-चुनाव कराया गया.

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