मुस्लिमों ने किया ट्रंप का समर्थन लेकिन अब उन्हें चुकानी होगी ये कीमत!

नई दिल्ली. डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति चुन लिये गये हैं. उन्हें जीत के लिए जरूरी 270 से अधिक 277 वोट मिले हैं. बताया जा रहा है कि इस जीत में मुस्लिमों का बड़ा हाथ है. उन्होंने अपनी राजनीतिक लाइन से अलग हटकर ट्रंप के लिए मतदान किया है. ऐसे में […]

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मुस्लिमों ने किया ट्रंप का समर्थन लेकिन अब उन्हें चुकानी होगी ये कीमत!

Vidya Shanker Tiwari

  • November 6, 2024 7:59 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 weeks ago

नई दिल्ली. डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति चुन लिये गये हैं. उन्हें जीत के लिए जरूरी 270 से अधिक 277 वोट मिले हैं. बताया जा रहा है कि इस जीत में मुस्लिमों का बड़ा हाथ है. उन्होंने अपनी राजनीतिक लाइन से अलग हटकर ट्रंप के लिए मतदान किया है. ऐसे में सवाल उठता है कि डेमोक्रेट का समर्थन करने वाले मुस्लिम ट्रंप के साथ क्यों गये और अब बदले में वो उनसे क्या चाहते हैं?

ट्रंप ने रचा इतिहास

रिपब्लिक पार्टी के नेता डानाल्ड ट्रंप एक बार फिर राष्ट्रपति चुनाव जीत गये हैं. इसके पहले वह 2016 में चुनाव जीतकर राष्ट्रपति बने थे अलबत्ता 2020 में चुनाव हार गये थे और सत्ता डेमोक्रेट के हाथ में चली गई थी. जो बाइडन राष्ट्रपति बने लेकिन उम्र और इजरायल-गाजा तथा रूस-यूक्रेन की लड़ाई उन्हें ले डूबी. बीच चुनाव में उन्हें अपनी उम्मीदवारी वापस लेनी पड़ी और उप राष्ट्रपति कमला हैरिस रिपब्लिकन उम्मीदवार बनीं. नतीजे आये तो ट्रंप को 277 और कमला हैरिस को 224 वोट मिले.

स्विंग स्टेट-मुस्लिमों ने दिया साथ

खास बात यह है कि ट्रंप को स्विंग स्टेट से भी सफलता हाथ लगी है. इसमें एरिजोना, जॉर्जिया, मिशिगन, नेवादा, उत्तरी कैरोलिना, पेंसिल्वेनिया और विस्कॉन्सिन जैसे राज्य शामिल है. मिशिगन सबसे महत्वपूर्ण स्विंग राज्य है क्योंकि यह अमेरिका में सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाले राज्यों में से एक है इसलिए, ट्रंप और हैरिस ने मिशिगन में कड़ी मेहनत की थी. सफलता ट्रंप के हाथ लगी. अमेरिका में लगभग 25 लाख मुस्लिम मतदाता हैं.

जंग खत्म कराना चाहते हैं मुस्लिम

सवाल ये है कि मुस्लिमों ने ट्रंप का समर्थन क्यों किया. अमेरिका की राजनीति की समझ रखने वाले मानते हैं कि ऐसा उन्होंने मध्य पूर्व में शांति के लिए किया है. बाइडन के पास इजरायल और गाजा-लेबनान युद्ध खत्म कराने के लिए कोई नीति नहीं थी. वह इजरायल और यूक्रेन को आंख बंद करके मदद कर रहे थे और आर्थिक सहायता दे रहे थे. मुस्लिमों ने मजबूरी में ट्रंप का समर्थन किया है. उनका मानना है कि ट्रंप युद्ध का समर्थन नहीं करते लिहाजा शांति लाने के लिए वह ठोस कदम उठाएंगे. पिछले चुनाव को देखेंगे तो पाएंगे कि मुस्लिमों ने उनका समर्थन नहीं किया था.

ट्रंप के दामाद ने निभाई अहम भूमिका

इस बार मिशिगन के मुस्लिम समुदाय तक ट्रंप की पहुंच की बदौलत हैमट्रैक और डियरबॉर्न हाइट्स के मुस्लिम मेयर से समर्थन हासिल किया. ट्रंप के दामाद लेबनानी अरबपति मासाद बुलोस के बेटे बुलोस ने भी मुस्लिमों को नजदीक लाने में अहम भूमिका निभाई. यही नहीं मिशिगन की रैली में ट्रंप ने इमाम बेलाल अल्ज़ुहाइरी को मुस्लिमों का बड़ा नेता बताया. बदले में अल्जुहाइरी ने डोनाल्ड ट्रंप को शांति का समर्थक कहा. साथ में ये भी दम भरा कि मुस्लिम वोटर्स इस बार ट्रंप के साथ हैं. ट्रंप ने शांति और मिडिल ईस्ट व यूक्रेन में जंग खत्म कराने का वादा किया है.

अब्राहम समझौते से उम्मीदें

पिछले कार्यकाल में ट्रंप ने इजराइयल को अरब देशों के नजदीक लाने और राजनयिक संबंध स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई थी. अब्राहम समझौते के जरिए इजरायल, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन के बीच राजनयिक संबंध स्थापित हुए और बाद में मोरक्कों के साथ नवीनीकरण हुआ.

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