US Capital Hill Violence: दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों में से एक अमेरिका में बिना किसी डर के दिन दहाड़े लोगों ने लोकतंत्र पर प्रहार किया है. जिसके बाद से यह खबर आग की तरह पूरी दुनिया में फैल गई है और चारो तरफ इसकी निंदा की जा रही है.
नई दिल्ली : अमेरिका में गुरुवार को ट्रंप समर्थकों ने वाशिंगटन में जिस तरह कैपिटल हिल पर कब्जे की कोशिश की और हमला किया, वो सरासर अमेरिका के लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाने वाली घटना है. दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों में से एक अमेरिका में बिना किसी डर के दिन दहाड़े लोगों ने लोकतंत्र पर प्रहार किया है. जिसके बाद से यह खबर आग की तरह पूरी दुनिया में फैल गई है और चारो तरफ इसकी निंदा की जा रही है. दरअसल, बात यह है कि डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति चुनाव में अपनी हार कतई बरदाश नहीं कर पाएं हैं, जिसके चलते उनके समर्थकों ने गुरुवार को कैपिटल हिल का घेराव किया,गोलीबारी की, तोड़फोड़ की,कई दफ्तरों पर कब्जा किया और अमेरिकी संसद में हमला किया. फिलहाल, सुरक्षाकर्मियों ने उपद्रवियों को संसद से बाहर निकाल लिया है. लेकिन अब यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है.
बता दें कि, ऐसा ही एक घटना अमेरिका में करीब 200 साल पहले हुई थी, जिसके बाद गुरुवार को अमेरिका में इतिहास दोहराया गया. लेकिन इस बार किसी बाहरी घुसपैठिए नहीं बल्कि अमेरिकी लोगों ने ही अमेरिकी संसद पर ये हमला किया है. इससे पहले 1814 में 24 अगस्त को ब्रिटिश घुसपैठियों ने वाशिंगटन का रुख किया था, तो सबसे पहले सभी की नजर कैपिटल हिल की इस शानदार बिल्डिंग पर गई, जिसके बाद ब्रिटिश घुसपैठियों ने पूरी बिल्डिंग में आग लगा दी.
ब्रिटिश घुसपैठियों ने 200 साल पहले जो हमला किया था वो आज भी याद किया जाता है, क्योंकि इस हमले के दौरान ब्रिटिश घुसपैठियों ने व्हाइट हाउस और राष्ट्रपति के दफ्तर पर भी हमला बोला था. जिसके बाद ब्रिटेन और अमेरिका के बीच तीन साल तक एक जंग छिड़ी रही. जो 1815 में जाकर एक संधि के जरिए खत्म हुई.
फिलहाल, अमेरिका में चल रहे राष्ट्रपति चुनाव में धोखेबाजी के विवाद ने भयावा रूप धारण कर लिया है. जिसपर अब काबू पा लिया गया है और 15 दिनों के वाशिंगटन में पब्लिक इमरजेंसी का ऐलान कर दिया गया है.