पटना. महागठबंध टूटने के बाद बिहार की राजनीति में एक बार फिर से बड़े उथल-पुथल के संकेत मिल रहे हैं. रालोसपा और राजद नेताओं की बढ़ती नजदीकी राजनीति में बड़े उतार चढ़ाव के संकेत दे रही है. रालोसपा द्वारा आयोजित की गई मानव श्रृंखला में राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे और वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी शामिल हुए. मंगलवार को रालोसपा ने शिक्षा सुधार के लिए मानव श्रृंखला आयोजित की. यह मानव श्रृंखला रालोसपा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व में आयोजित की गई थी. लेकिन इसमें एनडीए के घटक दलों का कोई नेता नहीं दिखाई दिया वहीं राजद के दिग्गज नेता शिवानंद तिवारी गर्मजोशी से इसमें शामिल हुए. इसके अलावा कई अन्य घटनाक्रमों को देखकर माना जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा एनडीए का साथ छोड़कर लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल के साथ आ सकते हैं. इस रैली में मानव श्रृंखला के लिए जो पोस्टर लगाए गए थे उनमें साधु यादव की तस्वीर को लेकर सोमवार से ही सियासत को बल मिल गया था.
मानव श्रृंखला में राजद नेताओं के शामिल होने पर उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि उन्होंने सभी दलों को इस आयोजन में शामिल होने की अपील की थी. उन्होंने किसी भी दल को अलग से न्यौता नहीं दिया. राजद ने हमारी अपील का सम्मान किया है. कुशवाहा के इस बयान पर इस सवाल का उत्तर खोजा जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा की अपील का सिर्फ राजद ने ही क्यों सम्मान किया? एनडीए के दूसरे घटक दलों ने रालोसपा की अनदेखी क्यों की. जबकि रालोसपा भी एनडीए का ही अंग है.
उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व में आयोजित की गई इस मानव श्रृंखला में राजद के मंच साझा करने पर एनडीए के अन्य घटक दल आमने-सामने की स्थिति में आ गए हैं. इस मामले पर बिहार सरकार में शिक्षा मंत्री और जेडीयू नेता जदयू नेता और बिहार सरकार में शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा ने केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा पर निशाना साधा. वहीं जेडीयू प्रवक्ता अजय आलोक को भी रालोसपा का राजद के साथ नजदीकियां बढ़ाना रास नहीं आया. बीजेपी से मंत्री प्रेम कुमार ने भी कुशवाहा पर निशाना साधा. जेडीयू प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा कि बिहार के हित में किये गए किसी भी कार्य में जेडीयू का नैतिक समर्थन हमेशा प्राप्त है. लेकिन जिस रैली में राजद जाएगा वहां जेडीयू खड़ा नहीं हो सकता.
खैर, इस मानव श्रृंखला में राजद का साथ मिलने से संकेत मिल रहे हैं कि उपेंद्र कुशवाहा भले ही केंद्रीय मंत्री बन गए हैं लेकिन वे एनडीए के साथ सहज महसूस नहीं कर रहे. इसके साथ ही वे आने वाले दिनों में राजद के और भी नजदीक आ सकते हैं. इसकी वजह यह भी मानी जा रही है कि राज्य सरकार में उनकी भागीदारी नहीं है. केंद्र में भी वे निर्णायक की भूमिका में नहीं हैं.
इसके अलावा एनडीए का घटक दल होने के कारण रालोसपा दूसरे राज्यों में भी अपना विस्तार नहीं कर पा रहा है. रालोसपा को यूपी विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार खड़ा करने से रोका गया. इसके अलावा बीजेपी के कारण ही दिल्ली नगर निगम का चुनाव भी रालोसपा नहीं लड़ पाई. अगले साल चुनावों को देखते हुए भी माना जा रहा है कि एनडीए में फिर से सीटों का बंटवारा होगा. इस कार्यकाल में रालोसपा को कोई विस्तार नहीं मिल पाया इसलिए आगामी चुनावों में और भी कम सीटें मिलने के आसार हैं जिसके चलते ताजा समीकरण उपेंद्र कुशवाहा के राजद से हाथ मिलाने का इशारा कर रहे हैं.
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