लखनऊ। देश इस वक्त आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। आजादी की 75वीं सालगिरह के अवसर पर आज दिल्ली के लाल किला से विजय पथ तक के लिए सांसदों की बाइक रैली निकाली गई। जिसमें सत्ता पक्ष के सांसदों ने हिस्सा लिया। लेकिन ये रैली विवादों में घिर गई है। इस रैली में विपक्षी सांसद शामिल नहीं हुए। जिस पर बीजेपी ने तीखी आपत्ति जताई है। इसी बीच समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर रहमान ने तिरंगे को लेकर एक विवादित बयान दिया है। बर्क ने कहा है कि तिरंगा लगाना जरूरी नहीं होना चाहिए। जिसकी मर्जी हो वो ही लगाए।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आरएसएस और उसके सरसंघचालक पर निशाना साधते हुए लिखा कि हम हाथ में तिरंगा लिए अपने नेता नेहरू की डीपी लगा रहे हैं लेकिन लगता है प्रधानमंत्री का संदेश उनके ही परिवार तक ही नहीं पहुंचा। जिन्होंने 52 सालों तक नागपुर में अपने हेड क्वार्टर में झंडा नहीं फहराया, वे क्या प्रधानमंत्री की बात मानेंगे?
भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर केंद्र सरकार ‘हर घर तिरंगा’ अभियान की जोर-शोर से तैयारी कर रही है। लेकिन इससे पहले आज यानी बुधवार को सभी सांसदों ने तिरंगा बाइक रैली निकाली। इस रैली में सरकार के कई बड़े मंत्रियों ने भी हिस्सा लिया। लेकिन इस रैली में विपक्ष का कोई नेता शामिल नहीं हुआ। इसी बीच सियासत गरमागई है। सरकार ने विपक्ष पर आरोप लगाया है कि हमने आह्वान किया था कि इस रैली में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के सांसद शामिल हों लेकिन विपक्ष का एक भी नेता शामिल नहीं हुआ।
बता दें कि सरकार के आरोपों पर राहुल गांधी ने पलटवार किया है। राहुल ने तिरंगा के साथ पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की तस्वीर को ट्वीट करते हुए लिखा कि देश की शान है, हमारा तिरंगा हर हिंदुस्तानी के दिल में है, हमारा तिरंगा। गौरतलब है कि पीएम मोदी के द्वारा लोगों से अपने सोशल मीडिया अकाउंट की प्रोफाइल तस्वीर के रूप में ‘तिरंगा’ लगाने का अनुरोध किया था। जिसके बाद अब कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि उसके नेता देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की हाथ में तिरंगा वाली तस्वीर की डीपी लगाएंगे।