लखनऊः उत्तर प्रदेश में सियासी अटकले थमने का नाम नहीं ले रही है। प्रदेश में लगातार 2024 को लेकर समीकरण बिगड़ते-बनते दिखाई पड़ रहे है। एक तरफ नीतीश-अखिलेश के साथ आने के चर्चे तो दूसरी ओर ओपी का सपा छोड़कर जाना नयी राजनीतिक गठबंधन को जन्म दे रहे हैं। बीजेपी के साथ सुभासपा सपा से […]
लखनऊः उत्तर प्रदेश में सियासी अटकले थमने का नाम नहीं ले रही है। प्रदेश में लगातार 2024 को लेकर समीकरण बिगड़ते-बनते दिखाई पड़ रहे है। एक तरफ नीतीश-अखिलेश के साथ आने के चर्चे तो दूसरी ओर ओपी का सपा छोड़कर जाना नयी राजनीतिक गठबंधन को जन्म दे रहे हैं।
सपा से अलग हो चुके सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की नजदीकियां बीजेपी के साथ बढ़ती दिखाई पड़ रही हैं। बीते रात सुभासपा सुप्रीमो राजभर अपने बेटे के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने गए। राजभर ने एक तरफ लगातार अखिलेश यादव से नाराजगी जता रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ सीएम योगी से मुलाकात शुरू हो रहे हैं। ऐसे में कयास लगने लगे है कि राजभर फिर बीजेपी के साथ जानेवाले है।
राजभर ने सीएम योगी मिलने को शिष्टाचार मुलाकात बताया है। सूत्रों की मानें तो दोनों नेताओं के बीच आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर बातचीत हुई है। बता दें कि बीजेपी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में यूपी की 80 में से 80 सीटें जीतने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। वहीं बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी लगातार यूपी में अपनी नजर बनाए हुए है। इन दिनों अखिलेश से उनके गठबंधन के खूब चर्चे है। ऐसे में एक खबर खूब उठी कि नीतीश कुमार यूपी के फूलपुर सीट से आगामी लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। बिहार के सीएम लगातार विपक्षी दलों को एकजुट करने के प्रयास में लगे है।
मुलाकात की सूचना देते हुए सुभासपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण राजभर ने बताया कि देर रात सीएम योगी से ओपी राजभर मिलने गए है। ओपी राजभर के बेटे ने जानकारी साझा करते हुए कहा कि बुधवार को इस संदर्भ में प्रेस कॉन्फ्रेंस की जाएगी।
खबर है कि मुलाकात के दौरान सुभासपा अध्यक्ष ने राजभर जाति के लिए शेड्यूल ट्राइब का स्टेटस मांगा है। राजभर के अनुसार, सीएम योगी ने मुलाकात के बाद राजभर जातियों को जनजातीय समुदाय में शामिल करने का प्रपोजल केंद्र को भेजने का भरोसा दिया है। साथ ही ओमप्रकाश ने 50 साल से सरकारी जमीनों पर बसे हुए गरीबों न हटाने की मांग की। उन्होंने कहा कि जिले के अधिकारी अब ऐसे सरकारी जमीनों पर नोटिस दे रहे हैं, जिस पर भूमिहीन पिछड़े समुदाय के लोग दशकों से बसे हुए हैं।
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