यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 50 साल की उम्र पार कर चुके सरकारी कर्मचारियों की स्क्रीनिंग करने का आदेश जारी किया है. इसमें ऐसे कर्मचारियों को चिन्हित किया जाएगा जिनका स्वास्थ्य सही नहीं रहता और काम नहीं कर पाते. उन कर्मचारियों को अनिवार्य रिटायरमेंट दिया जाएगा. कर्मचारी संगठन योगी सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं.
लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार 50 साल की उम्र पार कर चुके उन सरकारी कर्मचारियों को रिटायर करने पर विचार कर रही है जो अपनी ड्यूटी निभाने में असमर्थ हैं. राज्य सरकार ने सूबे के सभी कर्मचारियों की जल्द ही स्क्रीनिंग कर रिपोर्ट सौंपने के आदेश जारी किए हैं. राज्य में 16 लाख सरकारी कर्मचारी हैं. सरकार के इस आदेश के बाद करीब 4 लाख कर्मचारी रिटायर हो जाएंगे.
योगी सरकार के इस आदेश को छह जुलाई को जारी किया गया था जिसका कर्मचारी संगठन विरोध कर रहे हैं. अपर मुख्य सचिव मुकुल सिंघवी द्वारा राज्य के सभी विभागों के अपर मुख्य सचिवों और सचिवों को शासनादेश जारी किया गया है. इस शासनादेश में कहा गया है कि वित्तीय हस्तपुस्तिका खण्ड 2, भाग 2 से 4 में प्रकाशित मूल नियम-56 में नियुक्ति प्राधिकारी के लिए किसी भी सरकारी सेवक को नोटिस देकर बगैर कारण बताए 50 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद सेवानिवृत होने की व्यवस्था है. इस नोटिस की अवधि तीन महीने होगी.
मुकुल सिंघवी द्वारा जारी किए शासनादेश में सभी विभागाध्यक्षों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति की स्क्रीनिंग की कार्यवाही 31 जुलाई तक निपटा लेने का निर्देश जारी किया है. 50 वर्ष की आयु निर्धारित करने की कट ऑफ डेट 31 मार्च 2018 रखी गई है. यानि 31 मार्च 2018 को जिन कर्मचारियों की उम्र 50 साल हो गई है वे स्क्रीनिंग के दायरे में आएंगे. ऐसे में उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति लेनी होगी.
योगी सरकार के इस शासनादेश पर कर्मचारी संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. यूपी सचिवालय कर्मी एसोसिएशन के अध्यक्ष यादवेंद्र मिश्रा ने सरकार के इस कदम को कर्मचारियों को परेशान करने वाला बताया है. उन्होंने कहा कि इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में 16 लाख सरकारी कर्मचारी हैं. इनमें से करीब 4 लाख 50 साल की उम्र पार कर चुके हैं. अत: इनका रिटायर होना तय है.
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