उत्तर प्रदेश, Up Elections 2022: उत्तर प्रदेश में बढ़ती ठंड के बीच चुनावी तारीखों के ऐलान ने सूबे का सियासी तापमान बढ़ा दिया है. उत्तर प्रदेश में सात चरणों में चुनाव होने वाले हैं. प्रदेश में चुनावी प्रक्रिया 10 फरवरी से होगी जो 7 मार्च तक चलेगी. बीते दिनों जिस तरह से प्रदेश कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने महिलाओं के अधिकार को लेकर तमाम रैलियां और मैराथन आयोजित करवाए हैं तो ऐसे में गौरतलब है कि इस बार उत्तर प्रदेश चुनाव में महिला उम्मीदवारों के वोटों पर सबसे ज्यादा बल दिया गया है. इस बार प्रदेश में महिला मतदाताओं की संख्या 6,98,22,416 है, जो पिछले चुनाव की तुलना में 28,86,988 ज्यादा है, इसीलिए सभी पार्टियां महिलाओं को लुभाने में जुटी हुई हैं.
यूं तो चर्चाओं-परिचर्चाओं में महिलाओं को आधी आबादी के तौर पर पेश किया जाता है, लेकिन राजनीति में आज भी महिलाओं को मतदाता के तौर पर अहमियत कम ही मिलती है उन्हें आधी आबादी के तौर पर सिर्फ चिह्नित किया जाता है, न कि माना जाता है लेकिन, इस बार उत्तर प्रदेश में इसके इतर तस्वीर देखने को मिल रही है. यूपी चुनाव में इस बार महिला उम्मीदवारों पर ज़ोर दिया जा रहा है. इस बार के चुनाव में महिला मतदाताओं की संख्या भी ज़्यादा है तो स्वाभाविक सी बात है कि तमाम राजनीतिक दल महिलाओं के वोट को अपनी और करने की कोशिश में लगे हैं.
उत्तर प्रदेश की सत्ता से कांग्रेस बीते 41 सालों से दूर है. ऐसे में, इस बार के उत्तर प्रदेश चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है. खासकर उत्तर प्रदेश की कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा समय-समय पर प्रदेश का दौरा कर रही हैं, और महिलाओं के लिए नई-नई योजनाएं ला रही हैं. कांग्रेस पार्टी ने आगामी विधानसभा चुनाव में महिला उम्मीदवारों को 40 फीसदी टिकट देने का ऐलान किया था. इसके साथ ही कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणापत्र में महिलाओं को स्मार्टफोन, लैपटॉप और स्कूटी देने का भी ऐलान किया है. इसी क्रम में प्रियंका गांधी वाड्रा ने प्रदेश में लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ अभियान भी छेड़ा हुआ है, जिसके तहत वे महिलाओं से मिलकर उनकी समस्या जान उन्हें दूर करने का आश्वासन दे रही हैं.
कांग्रेस की ही तरह भारतीय जनता पार्टी ने भी महिला उम्मीदवारों के वोटों पर जोर देना शुरू कर दिया है. भाजपा महिला उम्मीदवारों को कितनी अहमियत दे थी है, यह बीते दिन हुए प्रधानमंत्री के दौरे से ही पता लगाया जा सकता है. बीते दिन काशी कॉरिडोर के लोकार्पण के दौरान पीएम महिलाओं की सुविधाओं के लिए कई योजनाएं लॉन्च की थी.
पिछले विधानसभा चुनाव की तरह इस बार भी सूबे की भाजपा सरकार को हराने के लिए विपक्ष की एक जुटता देखने को मिल रही है. इस कड़ी में समाजवादी पार्टी ने आरएलडी, सुभासपा, प्रसपा, जनवादी पार्टी, महान दल सहित करीब एक दर्जन छोटे दलों के साथ गठबंधन किया है, अब यह गठबंध कितना लाभप्रद सिद्ध होता है यह तो 10 मार्च को ही पता चलेगा.
विधानसभा चुनाव में मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी अपने ब्राह्मण-दलित समीकरण पर ही कायम है. यही वजह है कि अब तक मायावती ने किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन का ऐलान नहीं किया है.
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