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UP: इलाहबाद हाईकोर्ट से सिपाहियों को मिली राहत, वेतन वृद्धि का दिया आदेश

नई दिल्लीः इलाहाबाद हाईकोर्ट से सिपाहियों को बड़ी राहत मिली है। सपा के शासनकाल में 2005-06 बैच की भर्ती में नियुक्ति होने के बाद तत्कालीन बसपा सरकार ने 22000 सिपाहियों को नौकरी से निकाल दिया था लेकिन हाईकोर्ट ने इस मामले सिपाहियों को बड़ी राहत दी है। न्यायालय ने यूपी सरकार को आदेश देते हुए […]

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UP: इलाहबाद हाईकोर्ट से सिपाहियों को मिली राहत, वेतन वृद्धि का दिया आदेश
  • October 18, 2023 6:06 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

नई दिल्लीः इलाहाबाद हाईकोर्ट से सिपाहियों को बड़ी राहत मिली है। सपा के शासनकाल में 2005-06 बैच की भर्ती में नियुक्ति होने के बाद तत्कालीन बसपा सरकार ने 22000 सिपाहियों को नौकरी से निकाल दिया था लेकिन हाईकोर्ट ने इस मामले सिपाहियों को बड़ी राहत दी है। न्यायालय ने यूपी सरकार को आदेश देते हुए कहा कि इन सिपाहियों को वर्ष 2006 से सेवा में निरंतर मानते हुए उन्हें वेतन में बढ़ोतरी, पदोन्नती समेत और सभी सेवा दिया जाए। कोर्ट ने यह आदेश उत्तर प्रदेश शासन द्वारा जारी शासनादेश दिनांक 17 फरवरी में प्रतिपादित व्यवस्था को आधार बनाते हुए पारित किया है।

सिपाहियों के तरफ से दाखिल की गई थी याचिकाएं

न्यायाधीश अजीत कुमार ने ये फैसला मथुरा, गौतमबुद्ध नगर, आगरा, प्रयागराज, वाराणसी जिलों में तैनात हेड कांस्टेबल तथा कांस्टेबलों द्वारा संयुक्त रुप से अलग- अलग दाखिल याचिकाओं को निस्तारित करते हुए पारित किया है। बता दें कि सिपाही नीरज कुमार पांडे, रामकुमार , दीपक सिंह, रेखा गौतम, प्रमोद यादव की तरफ से याचिकाएं दाखिल की गई थी।

सिपाहियों के द्वारा दाखिल याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए अदालत ने आदेश दिया कि दिनांक 17 फरवरी 2022 के अनुपालन में 2005- 2006 बैच के आरक्षी सिविल पुलिस, पीएसी, सहायक परिचालक रेडियो विभाग के कांस्टेबलों को वर्ष 2006 से सेवा में निरंतर मानते हुए उन्हें पेंशन, उपादान, वार्षिक वेतन वृद्धि तथा पदोन्नती का लाभ व एसीपी का लाभ मिलना चाहिए।

2005 में हुई थी सिपाही भर्ती

सिपाहियों की तरफ से पेश हुए वकील विजय गौतम ने कहा कि सभी सिहाहियों की भर्ती 2005-06 में हुई थी। उनकी भर्ती सपा शासनकाल में हुई थी लेकिन बसपा की सरकार ने इन्हें नौकरी से निकाल दिया था। सुप्रीम कोर्ट तक लड़ी लड़ाई लड़ने के बाद इन्हें सेवा में वर्ष 2009 में बहाल किया गया था। साथ ही उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि सभी याची कांस्टेबल वर्ष 2006 से नौकरी में हैं। इन्हें गलत आधारों पर निकाल दिया गया था।

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