विवादों में रहे जेएनयू के छात्र नेता उमर खालिद पर दो लड़कों ने कॉस्टीट्यूशन क्लब के बाहर गोली चलाने की कोशिश की. जिसके बाद व्हाट्सएप पर एख वीडियो वायरल हुआ ये दोनों उमर खालिद को मारकर 15 अगस्त पर देश को तोहफा देना चाहते हैं. शुक्रवार यानी 17 अगस्त के दिन लुधियाना के सराभा गांव में करतार सिंह के घर में पुलिस के सामने सरेंडर कर देंगे ऐसा हुआ तो नहीं लेकिन सराभा गांव चर्चा में आ गया और ये सवाल पैदा हुआ कि आखिर उसी गांव में क्यों और करतार सिंह आखिर कौन थे. इस खबर में पढ़िए करतार सिंह के बारे में जिनका फोटो खुद भगत सिंह अपनी जेब में रखते थे.
नई दिल्लीः विवादों में रहे जेएनयू के छात्र नेता उमर खालिद पर सोमवार को दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब पर दो लड़कों ने गोली चलाने की कोशिश की, और पिस्टल छोड़कर भाग गए थे. उसके बाद व्हाट्सएप पर एक वीडियो जारी हुआ, जो एक से दूसरे मोबाइल में जा जाकर पूरे देश में फैल गया. उस वीडियो में दो लड़के दावा कर रहे हैं कि वो देशद्रोही उमर खालिद पर हमला कर देश को 15 अगस्त का तोहफा देना चाहते थे. इस वीडियो में ये भी दावा उन दोनों ने किया कि वो शुक्रवार यानी 17 अगस्त के दिन लुधियाना के सराभा गांव में पुलिस के सामने सरेंडर कर देंगे. ऐसे में सवाल उठता है कि उसी गांव में क्यों? एक खास व्यक्ति के घर पर ही क्य़ों? उसके लिए आपको जानना होगा उस व्यक्ति का भगत सिंह कनेक्शन.
जब ये वीडियो दिल्ली पुलिस के हाथ लगा तो फौरन पंजाब पुलिस से सम्पर्क साधा गया और पूरे सराभा गांव और आसपास के इलाकों में पंजाब पुलिस की टीमें तो तैनात कर ही दी गईं, दिल्ली पुलिस का भी 30 लोगों का स्पेशल दस्ता शुक्रवार को सराभा गांव पहुंच गया. लेकिन काफी इंतजार के बाद भी वो लोग सरेंडर के लिए नहीं आए. ऐसे में पूरे देश में उस गांव का और जिसके घर पर वो सरेंडर करना चाहते थे उस व्यक्ति करतार सिंह सराभा का नाम भी चर्चा में आ गया. इतिहास में रुचि रखने वाले तो करतार सिंह सराभा को पहले से जानते हैं, लेकिन नई पीढियों ने उनका नाम नहीं सुना है.
करतार सिंह सराभा का फोटो भगत सिंह हर वक्त अपनी जेब में रखते थे. उनको अपना गुरु मानते थे भगत सिंह और जब तक जिंदा रहे उनकी याद में श्रद्धांजलि सभा आयोजित करते रहे यहां तक कि जेल में भी. करतार सिंह सराभा नाम का नौजवान भगत सिंह से भी कम उम्र में फांसी चढ़ गया था, केवल 19 साल की उम्र में. उसका दुस्साहस और त्याग भगत सिंह से भी कई मायनों में बड़ा था, वो अमेरिका में इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़कर वहां से नौजवानों का दस्ता लेकर भारत में 1857 जैसी क्रांति करने के मकसद से भारत आया था. तभी तो ये दोनों नौजवान दर्वेश शाहपुर और नवीन दलाल उस सराभा के घर सरेंडर करके इस हमले को देशभक्ति का काम साबित करना चाहते थे.
एक तरफ सराभा था जो सब कुछ छोड़कर अपनी महत्वाकांक्षी योजना के जरिए देश आजाद करवाने आया था। क्या थी उसकी योजना? क्यों नहीं हो पाई पूरी तरह कामयाब?किस गद्दार के चलते हो गया करतार सिंह सराभा की योजना नाकामयाब, जानने के देखिए ये वीडियो स्टोरी विष्णु शर्मा के साथ-
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