Punjab Election: चंडीगढ़, पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Election) में अपनी नई राजनीतिक पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने वाले दो किसान संगठनों से संयुक्त किसान मोर्चा ने पल्ला झाड़ लिया है. मोर्चा ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि जनवरी में किसान संगठनों की एक बैठक में ये तय हुआ था कि किसान आंदोलन में शामिल […]
चंडीगढ़, पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Election) में अपनी नई राजनीतिक पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने वाले दो किसान संगठनों से संयुक्त किसान मोर्चा ने पल्ला झाड़ लिया है. मोर्चा ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि जनवरी में किसान संगठनों की एक बैठक में ये तय हुआ था कि किसान आंदोलन में शामिल किसी भी किसान संगठन ने विधानसभा चुनाव में हिस्सा लिया तो संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा नहीं माना जाएगा.
किसान मोर्चा के बयान के अनुसार विधानसभा चुनाव में भाग लेने वाले किसान संगठनों के किसी भी कार्यक्रम में कोई शामिल होगा तो उस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. हांलाकि जनवरी में हुई बैठक में ये भी तय हुआ था कि विधानसभा चुनाव के बाद इस फैसले पर पुनर्विचार भी किया जा सकता है.
संयुक्त किसान मोर्चा के बयान के अनुसार राजनीतिक दल बनाने वाले किसान यूनियन के नेता अब मोर्चे से दूर रहेंगे. इससे पहले 14 मार्च को गांधी पीस फाउंडेशन में सभी किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की एक बैठक बुलाई थी, जिसमें गुरनाम सिंह चढूनी और बलबीर सिंह राजेवाल ने मोर्चे के फैसले को न मानते हुए बैठक स्थल पर पहुंच गए थे. जिसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने बयान जारी किया है. बता दे कि दो किसान संगठनों ने संयुक्त संघर्ष पार्टी और संयुक्त समाज मोर्चा नाम से राजनीतिक दल बनाकर पंजाब विधानसभा चुनाव में हिस्सा लिया था।
गौरतलब है कि पंजाब विधानसभा चुनाव में हिस्सा लेने का किसान संगठनों का फैसला गलत साबित हुआ. पंजाब के लोगों का भरोसा और समर्थन पाने में ये संगठन असफल रहे. चुनाव परिणाम में पंजाब में इस बार आम आदमी पार्टी की बड़ी लहर देखने को मिली. आप ने राज्य की 117 सीटों में 92 सीटों पर जीत हासिल कर भारी बहुमत के साथ पंजाब की सत्ता में खुद को स्थापित किया. बुधवार को भगवंत मान ने राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।