नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने बुधवार को राज्यसभा को बताया कि देशभर में पिछले 5 सालों में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज किए गए है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए लिखित उत्तर में सदन को यह जानकारी […]
नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने बुधवार को राज्यसभा को बताया कि देशभर में पिछले 5 सालों में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज किए गए है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए लिखित उत्तर में सदन को यह जानकारी दी.
गृह राज्य मंत्री ने बताया कि साल 2021 से 2022 के बीच में पुलिस हिरासत में कुल 175, 2020 से 2021 में 100, 2018 से 2019 में 136 और 2017 से 2018 में 146 मामले दर्ज किए गए. 1 अप्रैल 2017 से लेकर 31 मार्च 2022 तक पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज हुए.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने NHRC के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि NHRC ने पुलिस हिरासत में मौत की घटनाओं में 1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2022 की अवधि के दौरान 201 मामलों में 5,80,74,998 रुपये की आर्थिक राहत और एक मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है. हालांकि गृह राज्य मंत्री ने स्पष्ट किया कि संविधान की 7वीं अनुसूची के अनुसार पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था राज्य का विषय है.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना मुख्य रूप से संबंधित राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. हालांकि केंद्र सरकार समय-समय पर एडवाइजरी जारी करती है और मानवाधिकार अधिनियम 1993 का संरक्षण भी करती है.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि जब NHRC को कथित मानवाधिकारों के उल्लंघन की शिकायतें मिलती हैं तो आयोग निर्धारित प्रावधानों के तहत कार्रवाई करता है. नित्यानंद राय ने कहा कि NHRC मानव अधिकारों की बेहतर समझ और विशेष रूप से हिरासत में व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए लोकसेवकों को संवेदनशील बनाने के लिए समय-समय पर कार्यशालाओं और सेमिनार का आयोजन भी करता है.
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