नई दिल्ली: आपको तो पता ही होगा कि संसद का मॉनसून सत्र चल रहा है. सदन में पक्ष-विपक्ष के बीच घमासान मचा हुआ है. दोनों एक दूसरे पर वार किए जा रहे हैं. इसी सिलसिले में सोमवार को केंद्रीय कोयला मंत्री और खान मंत्री जी किशन रेड्डी ने संसद में किसान कल्याण को लेकर बयान […]
नई दिल्ली: आपको तो पता ही होगा कि संसद का मॉनसून सत्र चल रहा है. सदन में पक्ष-विपक्ष के बीच घमासान मचा हुआ है. दोनों एक दूसरे पर वार किए जा रहे हैं. इसी सिलसिले में सोमवार को केंद्रीय कोयला मंत्री और खान मंत्री जी किशन रेड्डी ने संसद में किसान कल्याण को लेकर बयान दिया. वहीं उन्होंने बयान देने के दौरान राहुल गांधी पर तंज कसा. उन्होंने कहा कि किसान कलयाण को लेकर राहुल गांधी घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं और ये जो आंसू है, वो आंखों में धूल झोंक रहे हैं. 2004 से 2014 के बीच यूपीए के सत्ता में रहने के दौरान किए गए कामों से बिल्कुल अलग है.
बता दें कि जी किशन रेड्डी ने सदन में सवाल पूछते हुए कहा कि क्या आप भूल गए हैं 2013 में यूपीए ने संसद की मौजूदगी में क्या कहा था? तत्कालीन कृषि मंत्री शरद पवार के नेतृत्व में सरकार ने सदन में कहा था कि स्वामीनाथन समिति की जो सिफारिश है, वो स्वीकार नहीं किया जा सकता. आगे उन्होंने कहा कि जैसे ही यूपीए सरकार ने यह बात सुनी, तो उन्होंने कहा था कि उत्पादन लागत पर 50 प्रतिशत न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करने से बाजार में विकृतियां पैदा होगी और एमएसपी और उत्पादन लागत के बीच यांत्रिक संबंध कुछ मामलों को लेकर प्रतिकूल हो सकता है.
उन्होंने आगे कहा कि ये पीएम मोदी ही थें, जिन्होंने सत्ता में आने के बाद, बिना किसी लाग लपेट के एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों को लागू कर दिया. वहीं लागू करने के बाद घोषणा किया और कहा कि वे उत्पादन की लागत पर 50% न्यूनतम समर्थन मूल्य देंगे. वहीं उन्होंने राहुल को घेरते हुए कहा कि तेलंगाना, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस का राज्य है, वहां क्यों नहीं लागू की जा रही है.
बता दें कि लोकसभा में बहस के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि किसानों को कानूनी हक पर एमएसपी की गारंटी दी जानी चाहिए. वहीं किशन रेड्डी ने सवाल पूछते हुए कहा कि क्या यह सच नहीं है कि यूपीए ने जानबूझकर इसे दरकिनार किया है? उन्होंने बताया कि यूपीए के नेतृत्व वाली सरकार ने साफ तौर से कहा था कि उसने राष्ट्रीय किसान आयोग की सिफारिशों को स्वीकार नहीं किया. राहुल गांधी ने जो तेलंगाना में किसानों से वादा किया था, उनको उस पर ध्यान देना चाहिए.