देश-प्रदेश

केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मध्य प्रदेश के किसानों के लिए नैनो यूरिया की खेप को दिखाई हरी झंडी

नई दिल्ली. केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री  नरेंद्र सिंह तोमर ने हरी झंडी दिखाकर मध्य प्रदेश के किसानों के लिए नैनो यूरिया की खेप को रवाना किया। 75 टन यूरिया से लदे ट्रक को गुजरात के कलोल संयंत्र से मध्य प्रदेश के जबलपुर भेजा गया। नैनो यूरिया के उपयोग से फसल उत्पादकता में सुधार होगा और किसानों की आय बढ़ेगी। साथ ही आदान लागत तथा रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग में कमी आएगी।
माननीय मंत्री जी ने मध्य प्रदेश के किसानों के लिए नैनो यूरिया की खेप को झंडी दिखाकर रवाना करते हुए कहा कि “मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि इफको ने मेक इन इंडिया के तहत इस नवीन उत्पाद को विकसित किया है। यह न केवल किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगा बल्कि रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करने में भी मदद करेगा। इससे हमारे पर्यावरण की स्थिति बेहतर होगी।

नैनो यूरिया फसलों के लिए प्रभावी होने के साथ ही पर्यावरण हितैषी है।

इस अवसर पर इफको के प्रबंध निदेशक डॉ उदय शंकर अवस्थी ने कहा कि “इस उत्पाद के माध्यम से इफको आत्मनिर्भर भारत और आत्मनिर्भर कृषि की दिशा में अपना योगदान दे रहा है। यह उत्पाद अब अखिल भारतीय स्तर पर सभी के लिए उपलब्ध है। फसलों पर प्रभाव की दृष्टि से नैनो यूरिया की आधे लीटर की एक बोतल यूरिया के एक बैग के बराबर है। इसके छोटे आकार के कारण दुर्गम इलाकों में किसानों द्वारा इसका उपयोग करना सुविधाजनक है। ”

कई फसलों पर नैनो यूरिया का परीक्षण किया गया है और परिणामों में यह देखा गया कि फसलों की उपज के साथ-साथ उनके पोषण की गुणवत्ता बढ़ाने में भी नैनो यूरिया लाभकारी है। यह जल और पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में भी मदद करता है जिससे पृथ्वी मनुष्यों और अन्य जीवित प्राणियों के लिए सुरक्षित हो जाता है। डॉ. अवस्थी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन के हिस्से के रूप में ब्राजील, अर्जेंटीना और कुछ और देशों में भी नैनो यूरिया उत्पादन संयंत्र लगाए जाने हैं। इफको ने इससे पहले हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर को नैनो यूरिया की खेप भेजी थी और आधे घंटे के भीतर ही सारा स्टॉक बिक गया था।

पहले चरण में वर्ष 2021-22 के दौरान इफको की गुजरात स्थित कलोल इकाई तथा उत्तर प्रदेश की आंवला और फूलपुर इकाई में नैनो यूरिया संयंत्रों का निर्माण चल रहा है। शुरू में इन संयंत्रों में 500 मि.ली. की नैनो यूरिया की कुल वार्षिक उत्पादन क्षमता 14 करोड़ बोतल होगी जो बाद में बढ़कर 18 करोड़ बोतल हो जाएगी। कलोल संयंत्र से प्रतिदिन एक ट्रक में 15000 बोतल नैनो यूरिया की आपूर्ति की जा रही है और आने वाले समय में संयंत्र से हर दिन ऐसे 10 ट्रक भेजे जाएंगे। उन्होंने कहा कि कलोल संयंत्र से प्रतिदिन 6750 टन यूरिया का उत्पादन हो रहा है, जिससे सरकार को सब्सिडी के मद में 35,000 करोड़ रुपये की बचत होगी और किसानों को 35000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होगी।

Narendra Singh Tomar

दूसरे चरण में, वर्ष 2022-23 तक चार और संयंत्र चालू हो जाएंगे। इस प्रकार, नैनो यूरिया की अतिरिक्त 18 करोड़ बोतलों का उत्पादन होगा। आईसीएआर के 20 अनुसंधान संस्थानों और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के जरिए 11,000 से अधिक स्थानों और 94 फसलों पर इसका परीक्षण किया गया है।

हरी झंडी दिखाये जाने के आभासी कार्यक्रम में इफको के अध्यक्ष बी एस नकई, उपाध्यक्ष दिलीप संघाणी, संयुक्त प्रबंध निदेशक  राकेश कपूर भी मौजूद थे।

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Aanchal Pandey

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