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UCC : क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड? जिसपर BJP पलट सकती है Gujarat की सियासत

नई दिल्ली : उत्तराखंड की तरह ही अब गुजरात में भी यूनिफार्म सिविल कोड को लाने की चर्चा तेज है. जहां ठीक विधानसभा चुनाव से पहले ही भाजपा ने अपना UCC दाव खेल दिया है. शनिवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में समिति के गठन के प्रस्ताव […]

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UCC : क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड? जिसपर BJP पलट सकती है Gujarat की सियासत
  • October 29, 2022 9:09 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली : उत्तराखंड की तरह ही अब गुजरात में भी यूनिफार्म सिविल कोड को लाने की चर्चा तेज है. जहां ठीक विधानसभा चुनाव से पहले ही भाजपा ने अपना UCC दाव खेल दिया है. शनिवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में समिति के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है. इस में ये जानना जरूरी है कि यूनिफार्म सिविल कोड क्या है और इसकी मांग होने का क्या कारण है?

क्या है UCC ?

यूनिफार्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता जिसका सीधा अर्थ है कि देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान नियम और कानून फिर वह चाहे किसी भी धर्म या जाति का ही क्यों ना हो. यदि ये कानून लागू होता है तो शादी, तलाक, जमीन जायदाद के बंटवारे समेत कई मसलों में जनता पर एक सामान कानून ही लागू होंगे. इसका पालन सभी धर्मों के लोगों को करना होगा. बता दें, अभी देश में धर्म एक आधार पर मुस्लिम, हिंदू , सिख और जैन कानून भी लागू है. ये कानून खास समुदाय के लोगों के लिए बनाए गए हैं. जिसका पालन शादी, तलाक जायदाद जैसे निजी मसलों के लिए किया जाता है.

भारत की स्थिति समझें

बता दें, दुनिया में आज कई ऐसे देश हैं जहां पर सामान नागरिक कानून है. इन देशों में अमेरिका, आयरलैंड, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की, इंडोनेशिया, सूडान, इजिप्ट का नाम शामिल है. हालांकि भारत इनमे नहीं आता जहां अधिकांश निजी कानून धर्म के आधार पर तय किए जाते हैं. कई मामलों में जैन और बौद्ध धर्म के अपने कानून हैं तो कई मामलों में मुसलमान और ईसाई समुदाय के अपने कानून हैं. ये हमेशा से विवादित मुद्दा रहा है. खासतौर पर मुसलमानों का कानून जो देश में शरीअत पर आधारित है जबकि बाकी धार्मिक समुदायों के कानून संसद के संविधान पर आधारित हैं.

सामान नागरिक संहिता के लाभ

यदि ये कानून लागू हो जाता है तो विवाद, संपत्ति के अधिकार और उत्तराधिकारी जैसे जटिल मुद्दों को सरलता से हल किया जा सकेगा. सभी पर एक जैसा ही कानून आधारित होगा अब चाहे वो हिंदू हो मुसलमान हो या सिख. यदि ये कानून लागू हो जाता है तो कई मायनों में लैंगिंग समानता आएगी।

क्यों होता है विरोध?

इस कानून को लागू करने के सबसे बड़ा नुकसान ये है कि इससे वर्तमान में मौजूद कानून ख़त्म हो जाएगा. यही वजह है कि इसका विरोध किया जाता रहा है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि लोग अपने सामुदायिक कानूनों ने बेहद जुड़े हुए हैं.

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