नई दिल्ली. 22 मार्च को जल दिवस है लेकिन इससे पहले यूनेस्को की रिपोर्ट ने डराने वाली खबर दी है. यूनेस्को ने अपनी रिपोर्ट जारी की है जिसमें बताया गया है कि 2050 तक भारत में भारी जल संकट आ जाएगा. माना जा रहा है कि अंधाधुंध जल दोहन के कारण संसाधनों में कमी आ जाएगी और भारत में पानी की भारी किल्लत होगी. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि उत्तर भारत में पहले से ही काफी जल संकट है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मामले में जल संसाधन विभाग के प्रमुख एसके सरकार ने कहा कि पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में भूजल की बेहद कमी है. इन राज्यों में भूजल की भारी कमी है वहीं दक्षिण और मध्य भारत में 2050 तक नदियों में खराब जल की गुणवत्ता और बढ़ जाएगी. भारत में अभी भी कई राज्य गर्मियों में पानी के गंभीर संकट से जूझते हैं.
औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) एनआईओ के निदेशक एसडब्ल्यूए नकवी ने कहा कि प्रदूषण की समस्या न केवल सतह जल संसाधनों में है बल्कि भूजल में भी है. उन्होंने कहा कि इस जल में धातु के प्रदूषित पदार्थ भी शामिल हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि यह समस्या तब और बढ़ जाती है जब जमीन के अंदर खराब पदार्थों की डंपिंग होती है. खुले में शौच और गड्ढों में मल नष्ट करने से जमीन में बैक्टीरिया शामिल होते हैं. इससे भूजल और ज्यादा प्रदूषित होता है. हाल के दिनों में भी नदियों की हालत बहुत खराब है. नदियों में औद्योगिक गलियारों का पानी सीधे प्रवाहित होता है. यह बहुत ही दूषित और विषैला होता है जिससे नदियों में जल जीवों की जान भी सुरक्षित नहीं है.
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