नई दिल्ली: जनसंख्या के मामले में भारत ने चीन को भी पीछे छोड़ दिया है। भारत की जनसंख्या बढ़कर 142.86 करोड़ हो गई है। भारत जैसे आबादी वाले देश में अब भविष्य में सुखी और स्वस्थ जीवन के लिए कई चुनौतियां पैदा करेगी। आखिर क्यों इतनी तेजी से बढ़ रही है भारत की आबादी और […]
नई दिल्ली: जनसंख्या के मामले में भारत ने चीन को भी पीछे छोड़ दिया है। भारत की जनसंख्या बढ़कर 142.86 करोड़ हो गई है। भारत जैसे आबादी वाले देश में अब भविष्य में सुखी और स्वस्थ जीवन के लिए कई चुनौतियां पैदा करेगी। आखिर क्यों इतनी तेजी से बढ़ रही है भारत की आबादी और इससे देश में कितनी चुनौतियां आएंगी। बता दें, भारत की अधिकांश आबादी युवा लोगों से बनी है। यहां 55 फीसदी 30 साल से कम उम्र के युवा हैं। एक चौथाई 15 साल से कम उम्र के युवा हैं। 55% की युवा आबादी तेजी से जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण है। जानकारों का मानना है कि यह आंकड़ा अभी और बढ़ेगा।
➨ भारत की जनसंख्या वृद्धि से कितनी चुनौतियां पैदा होंगी, इसे 5 बिंदुओं में समझें
बता दें कि हर 4 में से 3 भारतीय विदेश जाते हैं। यह आंकड़ा अन्य विकासशील देशों की तुलना में बहुत अधिक है। 2000 से 2020 तक लगभग 1 करोड़ भारतीय भारत छोड़कर जा चुके हैं। पिछले साल बेरोजगारी बढ़कर 8.30 फीसदी हो गई थी। अगर इसी तरह आबादी बढ़ती रही तो नौकरी पाना मुश्किल और चुनौतीपूर्ण होगा।
देश का चिकित्सा क्षेत्र पहले से ही डॉक्टरों और पैरामेडिक्स की कमी का सामना कर रहा है, देश के 80 प्रतिशत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र विशेषज्ञ की कमी का सामना कर रहे हैं। इतना ही नहीं, 83% सर्जन, 74% स्त्री रोग विशेषज्ञ, 79% डॉक्टर और 81.6% बाल रोग विशेषज्ञ की कमी हैं। यही नहीं, देश भर में 6,064 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। आबादी बढ़ने से इलाज का बोझ और बढ़ेगा।
जनसंख्या में वृद्धि का असर अदालतों में लंबी प्रतीक्षा अवधि पर भी पड़ेगा। भारत में प्रत्येक 10 लाख की आबादी पर 50 जज होने चाहिए, लेकिन इनकी संख्या 15 ही है। हालात यह हैं कि 17,65,760 लोगों पर हाईकोर्ट का सिर्फ एक जज है। हाईकोर्ट के 10 में से 5 मामले पांच साल से अधिक समय से लंबित हैं। इंसान को न्याय दिलाने में देरी के लिए बढ़ती आबादी जिम्मेदार होगी क्योंकि जजों के पद पहले से ही खाली हैं। ऐसे में मुकदमों में तारीख बढ़ने के मामले और बढ़ेंगे।
प्रति व्यक्ति का दिन का भोजन घटता जा रहा है। दुनिया के 121 देशों की सूची में भारत पिछले साल 6 स्थान गिरकर 107वें स्थान पर पहुंच गया।भारत कुपोषण, बच्चों की कम ग्रोथ, शिशु मृत्यु दर से लड़ रहा है, क्योंकि इसी आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की जाती है। आबादी बढ़ने के साथ यह चुनौती और बढ़ेगी। रिपोर्ट कहती है कि देश में 1.2 करोड़ भारतीय भूखे पेट सोते हैं।
जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ेगी, वैसे-वैसे देश की सुरक्षा व्यवस्था के लिए चुनौतियाँ भी बढ़ेंगी। देश में 29 फीसदी पुलिस पद और 22 फीसदी अधिकारी खाली हैं।आश्चर्य की बात यह है कि सबसे बड़ी आबादी वाले राज्यों में नौकरी की रिक्तियों की संख्या भी अधिक है। पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक 44% एजेंट रिक्तियां हैं और हरियाणा 32% के साथ दूसरे स्थान पर है। वहीं, बिहार में 54 फीसदी और राजस्थान में 46 फीसदी पद खाली पड़े हैं।