UPA चेयरपर्सन सोनिया गांधी इस बैठक में बीमारी के कारण शामिल नहीं हो पाईं. राफेल, एनआरसी और अन्य कई अहम मुद्दों पर नरेंद्र मोदी सरकार को घेरने के लिए इस बैठक में रणनीति बनाने पर बात हो सकती है.
नई दिल्ली. भारत की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा करने के लिए शनिवार को कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में बीमारी के चलते यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी शामिल नहीं हो पाईं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुआई में हुई इस बैठक में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, गुलाम नबी आजाद और शीला दीक्षित सहित कई वरिष्ठ के नेता शामिल हुए. देश के राजनीतिक हालात के अलावा असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनसीआर) पर भी बैठक में चर्चा होने की संभावना है.
कांग्रेस ने एनआरसी मुद्दे पर नरेंद्र मोदी सरकार की यह कहते हुए आलोचना की कि इस अति संवेदनशील मुद्दे पर सरकार का रवैया सुस्त रहा है और इससे असम में बड़े पैमाने पर असुरक्षा की भावना पैदा हो गई है. 30 जुलाई को जारी एनआरसी ड्राफ्ट से 40 लाख लोगों को बाहर रखा गया है. अहम फैसले लेने वाली कांग्रेस की इस हाई लेवल कमिटी की बैठक में इस साल चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनावों की तैयारियों पर भी चर्चा होने की संभावना है.
बता दें कि कांग्रेस एनआरसी और राफेल व अन्य मुद्दों पर सत्तारूढ़ भाजपा पर लगातार हमला कर रही है. सदन में भी इन मुद्दों को लेकर खूब बहस हुई. संसद के मॉनसून सत्र में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान भी राहुल गांधी ने सीधा रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और पीएम नरेंद्र मोदी पर सवालियानिशान खड़े किए थे.
शुक्रवार को राहुल गांधी ने मुंशी प्रेमचंद के आलेख के एक अंश का उदाहरण देते हुए कहा था कि सांप्रदायिकता हमेशा संस्कृति की दुहाई देती है. प्रेमचंद को सम्मान देते हुए राहुल ने हिंदी में ट्वीट करते हुए कहा, “सांप्रदायिकता सदैव संस्कृति की दुहाई दिया करती है उसे अपने असली रूप में निकलने में शायद लज्जा आती है, इसलिए वह उस गधे की भांति, जो सिंह की खाल ओढ़कर जंगल में जानवरों पर रौब जमाता फिरता था, संस्कृति का खोल ओढ़कर आती है.”