अगरतला। नॉर्थ-ईस्ट में उनाकोटी की मूर्तियां काफ़ी प्रसिद्ध है। बता दें कि यह मूर्तियां त्रिपुरा के रघुनंदन हिल्स के एक पहाड़ के चट्टानों को काटकर बनाई गईं थी। मशहूर इतिहासकार पन्नालाल रॉय बताते हैं कि यहां एक, दो या दस मूर्तियां नहीं हैं बल्कि इनकी संख्या 1 करोड़ से मात्र में 1 कम हैं, यानी […]
अगरतला। नॉर्थ-ईस्ट में उनाकोटी की मूर्तियां काफ़ी प्रसिद्ध है। बता दें कि यह मूर्तियां त्रिपुरा के रघुनंदन हिल्स के एक पहाड़ के चट्टानों को काटकर बनाई गईं थी। मशहूर इतिहासकार पन्नालाल रॉय बताते हैं कि यहां एक, दो या दस मूर्तियां नहीं हैं बल्कि इनकी संख्या 1 करोड़ से मात्र में 1 कम हैं, यानी की यहां पर 99 लाख 99 हज़ार 999 मूर्तियां मौजूद हैं। अगर इतिहासकार की माने तो ये अभी तक पता नहीं चल पाया है कि यह मूर्तियां कब बनाई गई है, उनका मानना है कि यह मूर्तियां लगभग 8 वी या 9वी शताब्दी में बनाई गई होंगी।
इसे विश्व धरोहर घोषित कराने के लिए आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और सरकार दोनों प्रयास कर रहे हैं। इतिहासकार पन्नालाल रॉय कहते हैं कि ये पत्थर की मूर्तियां बहुत दुर्लभ है और ये कंबोडिया के अंगोर वाट में बनी मूर्तियों कि तरह है।
त्रिपुरा के उनाकोटी में ज्यादातर मूर्तियां हिंदू देवी-देवताओं की हैं। इनमें भगवान गणेश, भगवान शिव और दूसरे देवताओं की मूर्तियां मौजूद भी हैं। फिलहाल बता दें इस जगह के संरक्षण का जिम्मा आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने अपने सिर ले रखा है। बता दें इसके बाद से यहां कि हालत में कुछ सुधार देखने को मिला है। यहां मौजूद कई मूर्तियां इतनी विशाल हैं कि इनके ऊपर से झरने भी बहते हैं। यहां देश के कई हिस्से से लोग यहां घूमने के लिए भी आते हैं। गौरतलब है कि कुछ ख़ास मूर्तियों के पास आम लोगों को जाने कि अनुमति नहीं है।
यहां पर दो तरह की मूर्तियां है, यहां पहली पहाड़ों पर उकेरी गई मूर्तियां और दूसरी पत्थरों को काटकर बनाई गई मूर्तियां है। यहां पर सबसे प्रसिद्ध है भगवान शिव का सिर और विशालकाय गणेश की मूर्ति है। यहां पर स्थित भगवान शिव की मूर्ति को उनाकोटिश्वरा काल भैरवा बुलाया जाता है। यह मूर्ति करीब 30 फीट ऊंची है, भोलेनाथ के सिर के ऊपर की सजावट ही 10 फीट ऊंची है।
यहां आपको भगवान शिव के वाहन नंदी बैल भी दिखाई देंगे। बता दें कि इन नंदी बैलों की संख्या तीन है। हर साल अप्रैल के महीने में इस जगह पर एक बहुत बड़ा मेला भी लगता है जिसे अशोकाष्टमी का मेला कहा जाता है। अब भारत सरकार इस जगह को वर्ल्ड हेरिटेज साइट का टैग दिलाने की तैयारी कर रही है क्योंकि सरकार का कहना है कि यह एक अनोखी सांस्कृतिक धरोहर है, जिसे पूरा विश्व में लोग जाने और इसकी सहराना करें।
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