UGC Review 10 years PhD thesis: पिछले 10 सालों में जमा हुई PhD थिसिस की UGC करेगा समीक्षा, कन्हैया, उमर खालिद की डिग्री भी जांच के दायरे में

UGC Review 10 years PhD thesis: देश में रिसर्च की घटती गुणवत्ता के मद्देनजर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने पिछले 10 सालों में जमा हुई PhD थिसिस की समीक्षा करेगा. इस दायरे में वो तमाम छात्र आएंगे जिन्होंने पिछले एक दशक में PhD की डिग्री पाई है. इस दायरे में JNU छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उनके साथी उमर खालिद की डिग्रियां भी आएंगी.

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UGC Review 10 years PhD thesis: पिछले 10 सालों में जमा हुई PhD थिसिस की UGC करेगा समीक्षा, कन्हैया, उमर खालिद की डिग्री भी जांच के दायरे में

Aanchal Pandey

  • May 29, 2019 4:17 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) पिछले 10 सालों में PhD करने वाले छात्रों की थिसिस का मूल्यांकन करने की योजना बना रहा है. देश में रिसर्च की घटती गुणवत्ता के मद्देनजर ये फैसला लिया गया है. अगर ऐसा होता है तो जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार,उमर खालिद सहित उन तमाम छात्रों की थिसिस की जांच होगी जिन्होंने पिछले 10 सालों में PhD की डिग्री पाई है. यूजीसी ने इस जांच को कंडक्ट करने के लिए प्रस्ताव मंगाया है.

दरअसल यूजीसी के पास शैक्षणिक संस्थानों से यह शिकायत लगातार आ रही है कि देश में PhD और रिसर्च की गुणवत्ता लगातार गिरती जा रही है. PhD के टॉपिक की भी लगातार नकल हो रही है. एक ही विषय पर कई छात्रों के PhD करने की घटनाएं सामने आईं हैं. यूजीसी ने छह महीने में इस विषय की जांच करने के लिए प्रस्ताव मंगाए हैं. यूजीसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “यूजीसी भारत की यूनिवर्सिटियों में PhD थिसिस की गुणवत्ता की जांच करने जा रहा है. इस शोध में पिछले 10 सालों में तमाम सेंट्रल यूनिवर्सिटी, स्टेट यूनिवर्सिटी, स्टेट प्राइवेट यूनिवर्सिटी और डीम्ड यूनिवर्सिटियों से PhD की डिग्री हासिल करने वाले छात्रों के रिसर्च पेपर शामिल होंगे. ” गौरतलब है कि जेेेनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने 10 अगस्त 2018 को PhD की डिग्री मिली थी. इसकी तस्वीर उन्होेंने अपनी मां के साथ ट्विटर पर भी साझा की थी.

कन्हैया के साथी रहे उमर खालिद को इसी 10 मई को PhD डिग्री मिली. उन्होंने ट्वीटर पर लिखा, “मोदी साहब, हमने तो टैक्सपेयर्स का  हिसाब चुकता किया! और आपने?

 

यूजीसी से जुड़े अधिकारी ने बताया कि यह शोध अखिल भारतीय स्तर पर होगा. इसमें जुड़ने के लिए तमाम इच्छुक संस्थानों, छात्रों की थिसिस की जांच होगी. यूजीसी ने इच्छुक छात्रों, समूहों से अपने प्रस्ताव भेजने को कहा है जिसमें वो अपनी क्षमता, ट्रैक रिकॉर्ड, शोध प्रक्रिया और अनुमानित बजट की जानकारी देने को कहा है. दरअसल यूजीसी प्रोफेशनल लोगों के साथ मिलकर इस शोध को अंजाम देना चाहती है ताकि देश में PhD की घटती गुणवत्ता पर एक विस्तृत जांच रिपोर्ट तैयार की जा सके.

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