मुंबई। महाराष्ट्र में सियासी हलचल और तेज हो गई है. एकनाथ शिंदे गुट को सुप्रीम कोर्ट से राहत के बाद फ्लोर टेस्ट (Floor Test) को लेकर राजनीतिक गतिविधियां बढ़ गई है. बता दें कि बीजेपी मुताबिक उद्धव सरकार के खिलाफ कभी भी अविश्वास प्रस्ताव आ सकता है. वहीं, जानकारी है कि उद्धव सरकार के तख्तापलट […]
मुंबई। महाराष्ट्र में सियासी हलचल और तेज हो गई है. एकनाथ शिंदे गुट को सुप्रीम कोर्ट से राहत के बाद फ्लोर टेस्ट (Floor Test) को लेकर राजनीतिक गतिविधियां बढ़ गई है. बता दें कि बीजेपी मुताबिक उद्धव सरकार के खिलाफ कभी भी अविश्वास प्रस्ताव आ सकता है. वहीं, जानकारी है कि उद्धव सरकार के तख्तापलट के बाद बनने वाले सियासी हालात के लिए बीजेपी ने पूरी तैयारी कर ली है. शिंदे गुट के समर्थन न मिलने के बाद भी बीजेपी (BJP) सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है.
बता दें कि महाराष्ट्र में फ्लोर टेस्ट में अगर महाविकास अघाड़ी की सरकार गिर जाती है तो महाराष्ट्र की सत्ता पर बीजेपी कैसे आ सकती, इसे लेकर रणनीति लगभग तय हो गई है. जानकारी के मुताबिक देवेंद्र फडणवीस के पास सरकार बनाने के लिए पूरी रणनीति बना ली है. वो भी तब जब शिंदे गुट के 39 विधायक गुवाहाटी में हैं.
दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा में इस समय 287 विधायक हैं. फ्लोर टेस्ट में अगर शिवसेना के 39 बागी विधायक गायब रहते हैं तो सदन की संख्या 287 से घटकर 248 हो जाएगी और ऐसी स्थिति में बहुमत के लिए 125 विधायकों की जरूरत पड़ेगी. भाजपा के पास 106 विधायक हैं. साथ ही उसके समर्थन में 7 निर्दलीय और अन्य विधायक हैं. बीजेपी को पूरा विश्वास है कि शिंदे गुट के 11 निर्दलीय विधायक उसके साथ आ जाएंगे. इसके अलावा राज ठाकरे की पार्टी के एक विधायक का भी बीजेपी को समर्थन मिल जाएगा.
महाविकास विकास अघाड़ी (MVA) के तीन विधायकों के समर्थन देने पर भी बीजेपी दावा कर रही है. आगर ये सभी आंकड़े जोड़ें तो बीजेपी के पास 128 विधायक बन रहे हैं जो बहुमत के आंकड़े से ज्यादा है. दूसरी तरफ बीजेपी के हिसाब से उद्धव की सरकार अब अल्पमत में है. दरअसल, महाविकास अघाड़ी सरकार में शिवसेना के पास 16 विधायक बचे हुए हैं. एनसीपी (NCP) के पास हैं तो 53 विधायक लेकिन अनिल देशमुख और नवाब मलिक के जेल में होने के कारण वो संख्या 51 हो जाती है. कांग्रेस के पास 44 विधायक हैं. समाजवादी पार्टी के 2 और तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिल सकता है तो ये कुल संख्या 116 हो रही है जो बहुमत से कम है. ऐसे में उद्धव ठाकरे के लिए राह आसान नहीं हैं।
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