मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में एकनाथ गुट के बागी होने के बाद तकरीबन 2 हफ्ते चले सियासी घमासान के बाद शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली. बीजेपी के समर्थन से एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बन गए और महाविकास अघाड़ी की सरकार गिर गई. जिसके बाद अब शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के […]
मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में एकनाथ गुट के बागी होने के बाद तकरीबन 2 हफ्ते चले सियासी घमासान के बाद शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली. बीजेपी के समर्थन से एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बन गए और महाविकास अघाड़ी की सरकार गिर गई. जिसके बाद अब शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को शिवसेना नेता पद से हटा दिया गया है. पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को शिंदे को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया है।
दरअसल, पूर्व सीएम उद्धव ने पत्र लिख कर कहा कि, ”शिंदे ने भी स्वेच्छा से पार्टी की सदस्यता छोड़ दी है, इसलिए शिवसेना पार्टी अध्यक्ष के रूप में मुझे प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, मैं आपको पार्टी संगठन में शिवसेना नेता के पद से हटाता हूं.
जानकारी के मुताबिक शुक्रवार शाम को मुंबई में ठाकरे की ओर से बुलाई गई शिवसेना सांसदों की बैठक में एक वरिष्ठ नेता ने पार्टी के दीर्घकालिक हितों के लिए शिंदे के नेतृत्व वाले बागी समूह के साथ सुलह करने का सुझाव दिया. सुझाव पर ठाकरे की प्रतिक्रिया का पता नहीं चल पाया है. बैठक में मुख्यमंत्री शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे, प्रवर्तन निदेशालय की जांच के घेरे में आ चुकीं भावना गवली और राजन विचारे शामिल नहीं हुए. शिवसेना के लोकसभा में 19 सदस्य और राज्यसभा में तीन सदस्य हैं.
बता दें कि कल्याण से लोकसभा सदस्य श्रीकांत पहले ही अपने पिता के खेमे से जुड़ चुके हैं, जबकि यवतमाल से सांसद भावना गवली ने पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर हिंदुत्व के संबंध में बागी नेताओं की शिकायतों पर विचार करने की अपील की थी. राजन विचारे लोकसभा में ठाणे सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं.
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