नई दिल्ली. संसद के मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में बुधवार को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, यूएपीए संशोधन बिल पारित किया गया. इस बिल के लागू होने के बाद अब केवल संगठन ही नहीं बल्कि जो व्यक्ति आतंकी गतिविधियों में लिप्त होगा, उसे भी आतंकवादी घोषित किया जा सकेगा. पहले यूएपीए कानून के अंतर्गत केवल आतंकी गतिविधियों में लिप्त संगठन को ही आतंकवादी संगठन घोषित किया जाता था. लोकसभा में इस बिल पर बहस के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस की तारीफ की. अमित शाह ने कहा कि इंदिरा गांधी ने 1967 में संसद में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून, यूएपीए पारित किया था. कांग्रेस ने अच्छा काम किया और नरेंद्र मोदी सरकार इस बिल में संशोधन कर रही है वो भी अच्छा काम है. दूसरी ओर विपक्ष ने इस बिल के विरोध में सदन से वॉक आउट किया.
यूएपीए संशोधन बिल के बारे में जानकारी देते हुए गृह मंत्री शाह ने कहा कि आतंकवाद किसी संगठन में नहीं होता बल्कि इंसान की फितरत में होता है. एक व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने के लिए यूएपीए कानून में संशोधन करना जरूरी है. संयुक्त राष्ट्र ने मौलाना मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकवादी घोषित किया. यहां तक कि पाकिस्तान, चीन, इजराइल और यूरोपीय यूनियन जैसे देश में भी यही प्रक्रिया अपनाई गई है.
अमित शाह ने बताया कि जब किसी आतंकवादी संगठन पर पाबंदी लगाई जाती है तो आतंकी कानून का गलत फायदा उठाकर नया संगठन बना लेते हैं और अपने गैरकानूनी इरादों को अंजाम देते हैं. इसलिए उन्हें रोकने के लिए कानून में संशोधन करना आवश्यक हो गया है.
दूसरी तरफ विपक्ष ने यूएपीए संशोधन बिल को गलत बताया. टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि यूएपीए कानून में बदलाव होने के बाद लोगों को टारगेट किया जाएगा और उन्हें एंटी-नेशनल टैग दे दिया जाएगा.
हालांकि गृह मंत्री ने साफ किया कि सरकार इस बिल से किसी को भी व्यक्तिगत रूप से टारगेट नहीं कर रही है. साथ ही जो लोग वाकई सामाजिक कार्यकर्ता और समाज के हित में काम कर रहे हैं उन्हें परेशान नहीं किया जाएगा.
अमित शाह ने कांग्रेस पर दोगली राजनीति करने के आरोप भी लगाए. उन्होंने कहा कि यूएपीए कानून कांग्रेस सरकार ही लाई थी और जब चाहा इस कानून में संशोधन किया गया. उन्होंने कहा कि जब आप सत्ता में थे तो आपने यह बिल लाकर ठीक किया और अब जो हम कर रहे हैं वो भी ठीक ही कर रहे हैं.
विपक्षी सांसदों के सदन से वॉक आउट करने के बाद यूएपीए संशोधन बिल को लोकसभा में पारित कर दिया गया. इस बिल के पक्ष में 287 वोट पड़े जबकि विपक्ष में 8 वोट ही पड़े.
आपको बता दें कि आतंक विरोधी यूएपीए कानून को संसद में 1967 में पारित किया गया था. उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं.
इसके बाद साल 2004, 2008 और 2013 में इस कानून में तीन बार संशोधन किया गया, उस दौरान भी केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे. अब यूएपीए कानून में फिर से संशोधन किया गया है.
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आतंकवाद में जितने भी कड़े कानून बन सकते हैं बनाए जाए ताकि आने वाली जनरेशन को आतंकवाद का सामना न करना पड़े। भाजपा को अपना लोहा मनवाने का सबसे सही समय मिला है और हमें उम्मीद है कि कश्मीर का मसला भी पूरी तरह से हल होगा