नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार रात गिरफ्तार कर लिया. केजरीवाल देश के ऐसे पहले नेता हैं, जो मूख्यमंत्री के पद पर रहते हुए गिरफ्तार हुए हैं. इससे पहले गिरफ्तार होने वाले मुख्यमंत्रियों ने पहले इस्तीफा दिया फिर उनकी गिरफ्तारी हुई. आज हम आपको […]
नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार रात गिरफ्तार कर लिया. केजरीवाल देश के ऐसे पहले नेता हैं, जो मूख्यमंत्री के पद पर रहते हुए गिरफ्तार हुए हैं. इससे पहले गिरफ्तार होने वाले मुख्यमंत्रियों ने पहले इस्तीफा दिया फिर उनकी गिरफ्तारी हुई. आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिए भारत के ऐसे दो खास पद के बारे में बताएंगे जिसपर होते हुए उस व्यक्ति को भारत की कोई भी संस्था या किसी भी राज्य की पुलिस के द्वारा गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है.
हम जिन दो खास पद के बारे में बात कर रहें हैं वो देश के राष्ट्रपति और किसी भी राज्य के राज्यपाल का पद है. जी हां किसी भी राज्य के राज्यपाल और देश के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति का पद है. किसी भी राज्य के राज्यपाल और राष्ट्रपति के पद पर बैठे हुए व्यक्ति पर किसी भी दालत में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है. इतना ही नहीं इस पद पर बैठे हुए व्यक्ति के खिलाफ किसी भी राज्य की पुलिस या देश की किसी भी संस्था के द्वारा किसी मामले में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. यह कानूनी अधिकार देश के हर राज्यपाल को मिले हैं, चाहे वह पूर्ण राज्य हों या कोई केन्द्रशासित प्रदेश का राज्यपाल हो.
कुछ मामलों में देश के प्रधानमंत्री और केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल मंत्रियों को भी विशेष छूट हासिल है. संविधान में वर्णित कोड ऑफ सिविल प्रोसीजर की धारा 135 के तहत प्रधानमंत्री राज्य सभा के सदस्य, केन्द्रीय मंत्री, विधान सभा और विधान परिषद के सदस्य और राज्यों के मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तारी से छूट मिली हुई है. इन सभी को यह विशेष छूट सिर्फ दीवानी मामले में मिली है. अगर इनके खिलाफ कोई क्रिमिनल मामला आया तो इनको भी गिरफ्तार किया जा सकता है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ भी कुछ ऐसा ही मामला है, क्योंकि उनपर लगने वाले आरोप क्रिमिनल मामले के तहत आते हैं.
आपको बता दें कि इसी कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर की धारा 135 में यह भी नियम है कि अगर आपको संसद विधानसभा या विधान परिषद के किसी भी सदस्य को पुलिस अगर गिरफ्तार करना चाहती है तो उसको सदन के अध्यक्ष से पहले मंजूरी लेनी होगी. सिविल प्रोसिजर की धारा 135 में यह भी वर्णित है कि इन सदस्यों को सत्र के 40 दिन पहले या 40 दिन बाद तक ना तो किसी भी संसद सदस्य को पुलिस गिरफ्तार कर सकती है और ना ही उसे हिरासत में ले सकती है.
संसद विधानसभा और विधान परिषद के किसी भी सदस्य को सदन के परिसर या सदन के अंदर से गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है और ना ही उसे हिरासत में लिया जा सकता है. ऐसा सदन सभापति और सदन में अध्यक्ष का आदेश चलने की वजह होता है. मुख्यमंत्री विधानसभा या विधान परिषद और प्रधानमंत्री के संसद के सदस्य होने की वजह से उन पर यह नियम लागू होता है.