September 29, 2024
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केरल में दिमाग खाने वाले अमीबा के दो और मामले, जानें कैसे फैल रही है ये खतरनाक बीमारी

केरल में दिमाग खाने वाले अमीबा के दो और मामले, जानें कैसे फैल रही है ये खतरनाक बीमारी

  • WRITTEN BY: Anjali Singh
  • LAST UPDATED : September 29, 2024, 4:38 pm IST

नई दिल्ली: केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में दिमाग खाने वाले अमीबा के दो नए मामले सामने आए हैं। इन मामलों के सामने आने के बाद राज्य में डर का माहौल बन गया है। तिरुवनंतपुरम के थिरुमाला और मुल्लुविला की दो युवतियों में अमीबिक एन्सेफ्लाइटिस की पुष्टि हुई है, और उनका इलाज तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज में चल रहा है। इन नए मामलों के बाद इस बीमारी से संक्रमित मरीजों की संख्या अब तीन हो गई है।

कैसे फैल रही है ये बीमारी

बीमारी के फैलने की मुख्य वजह दूषित पानी है। बीते दो महीनों में करीब 14 लोगों में इस संक्रमण का पता चला था, जिनमें से 10 लोगों का इलाज सफल रहा और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। लेकिन कासरगोड जिले के 38 वर्षीय माणिकंदन की 22 सितंबर को इस बीमारी से मौत हो गई थी। स्वास्थ्य अधिकारियों ने लोगों को दूषित पानी से बचने और सावधानी बरतने की सलाह दी है, खासकर स्विमिंग के दौरान।

क्या है ब्रेन-ईटिंग अमीबा

अमीबिक एन्सेफ्लाइटिस या ब्रेन-ईटिंग अमीबा एक दुर्लभ लेकिन खतरनाक संक्रमण है, जिसे वैज्ञानिक नाम नएगलेरिया फॉलेरी (Naegleria fowleri) के नाम से जाना जाता है। यह अमीबा ताजे पानी की झीलों, नदियों, गर्म पानी के झरनों और मिट्टी में पाया जाता है। जब कोई व्यक्ति इन स्थानों पर जाता है, तो अमीबा नाक के जरिए शरीर में प्रवेश करता है और सीधे दिमाग पर हमला करता है, जिससे गंभीर संक्रमण हो सकता है।

क्यों है यह बीमारी खतरनाक

इस बीमारी में नर्वस सिस्टम बुरी तरह प्रभावित होता है और संक्रमण इतना तेज़ होता है कि 97% मामलों में मरीज की जान बचाना मुश्किल हो जाता है। इसलिए यह बेहद खतरनाक माना जाता है और इसके बचाव के लिए सावधानी बहुत ज़रूरी है।

बचाव के तरीके

1. दूषित पानी से बचें, खासकर ताजे पानी की झीलों, नदियों, और स्विमिंग पूल में।

2. स्विमिंग करते समय नाक में पानी जाने से रोकने के लिए क्लिप का इस्तेमाल करें।

3. स्वास्थ्य अधिकारियों की सलाह का पालन करें और साफ पानी का इस्तेमाल सुनिश्चित करें।

इस खतरनाक अमीबा से बचाव के लिए लोगों को सतर्क रहने की ज़रूरत है ताकि वे इस गंभीर संक्रमण से सुरक्षित रह सकें।

 

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