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रमन मैग्सेसे विनर्स प्रोफाइल: मैग्सेसे अवार्ड 2018 के दो भारतीय विजेता भरत वाटवानी और सोनम वांगचुक

सोनम वांगचुक और भरत वाटवानी को रमन मैगसेसे पुरस्कार से नवाजा गया है. इन दो भारतीय समाजसेवियों के साथ अन्य 4 लोगों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. भरत वाटवानी एक मोनवैज्ञानिक जो सड़क पर रहने वाले गरीब मनोरोगियों के संरक्षण के लिए काम करते हैं. वहीं सोनम वांगचुक एक इंजिनियर के साथ एक अविष्कारक और शिक्षा सुधारवादी हैं.

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Two Indians get Magsaysay Award 2018 Bharat Vatwani and Sonam Wangchuk Magsaysay Winners Profile
  • July 27, 2018 4:16 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. भारतीय समाजसेवी सोनम वांगचुक और भरत वाटवानी को रमन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. मैगेसेसे पुरस्कार को नोबेल पुरस्कार का एशियाई संस्करण भी कहा जाता है. इस साल 6 लोगों को मैगसेसे अवार्ड से नवाजा गया है. गुरुवार को रमन मैगसेसे फाउंडेशन ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से यह जानकारी दी है.

इन दो भारतीयों के अलावा पूर्वी तिमोर की मारिया डि लाउर्ड्स मार्टिन्स क्रूज, फिलीपींस के हॉवर्ड डि, वियतनाम के वो थि होआंग येन और कंबोडिया के यॉक चांग को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. फिलिपींस के तीसरे राष्ट्रपति की याद में एशिया का सबसे बड़े रमन मैग्सेसे पुरस्कार की स्थापना की गई थी. इसके साथ ही इस पुरस्कार का नाम भी उनके नाम पर रखा गया. सभी विजेताओ को 31 अगस्त को यह पुरस्कार औपचारिक तौर एक समारोह में दिया जाएगा.

https://twitter.com/rmafoundation/status/1022316592426672128

भरत वाटवानी प्रोफाइल
मैगसेसे पुरस्कार से नवाजे जाने वाले पहले भारतीय भरत वाटवानी एक मोनवैज्ञानिक हैं. मुंबई निवासी भरत वोटवानी सड़क पर घूमने वाले गरीब मनोरोगियों के संरक्षण के लिए काम करते हैं. साल 1988 में भरत वाटवानी और उनकी पत्नी ने श्रद्धा रिहेबिलटेशन फाउंडेशन की शुरूआत की थी. इस फाउंडेशन के जरिए सड़क पर रहने वाले मोनरोगियों को अपने निजी पर क्लीनिक पर लाकर उनकी पूरी तरह इलाज करते हैं.

श्रद्धा रिहेबिलटेशन फाउंडेशन के जरिए इन सभी मनोरोगियों के इलाज के साथ साथ इन्हें मुफ्त शेल्टर, खाना दिया जाता है. इसके साथ ही इन सभी मनोरोगियों को इनके परिवार से फिर मिलाने का प्रयास किया जाता है.

सोनम वांगचुक प्रोफाइल
मैगसेसे पुरस्कार से नवाजे जाने वाले दूसरे भारतीय सोनम वांगचुक ने महज 19 साल की उम्र में ही समाजसेवा शुरू कर दी थी. 51 वर्षीय वांगचुक भारत के लाखों लद्दाखी युवाओं के जीवन में सुधार लाए हैं. साल 1988 में सोनम वांगचुक ने इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. सोनम वांगचुक एक लद्दाखी इंजिनियर, अविष्कारक और शिक्षा के सुधारवादी हैं.

साल 1994 में सरकारी स्कूलों की शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के लिए सराकर, ग्रामीष समुदायों और नागरिकों समाज की मदद से शुरू किए गए ऑपरेशन न्यू होप का श्रेय भी सोनम वांगचुक को जाता है. वहीं सोनम वांगचुक लद्दाख में छात्रों के समूह द्वारा साल 1988 में स्थापित स्टूडेंट एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख एसईसीओएमएल के संस्थापक-निदेशक भी हैं. साल 2008 में आई फिल्म ‘3 इडियट्स’ के आमिर खान का किरदार ‘फुनसुक वांगड़ू’ कहीं हद तक वागंचुक के जीवन से प्रेरित है.

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