नई दिल्ली : बीजेपी के नेता और सांसद और कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ पहलवान कई महीनों से प्रदर्शन कर रहे है. बृजभूषण सिंह के ऊपर पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज है. पहलवानों के पक्ष में लगातार महापंचायत हो रही है. पहलवानों ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि मोदी सरकार बृजभूषण सिंह को बचाने की कोशिश कर रही है.
बृजभूषण सिंह का पूरा मामला अब जातीय रंग पकड़ लिया है. पहलवानों की लड़ाई अब जाट वर्सेज राजपूत की हो गई है. पहलवानों के समर्थन में जाट समुदाय के लोग आ गए है वहीं बृजभूषण सिंह के खिलाफ राजपूत समाज के लोग आ गए है. इसकी वजह से बीजेपी के हाईकमान को टेंशन हो गई है. कुछ दिन पहले पहलवान ने खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से मुलाकात की थी. इसके बाद पहलवानों ने 15 जून तक आंदोलन स्थगित करने का फैसाल किया था. पहलवानों ने कहा था कि 15 जून तक अगर फैसला नहीं होता है तो फिर से आंदोलन शुरू कर देंगे.
कुछ महीने बाद राजस्थान में विधानसभा का चुनाव होने वाला है और वहां पर जाट बिरादरी का दबदबा है. जाट समुदाय के कई नेताओं ने हाईकमान को चेतावनी दे दी है. अगर सियासी समीकरण की बात की जाए तो 40 सीटों पर जाट समुदाय का दबदबा है. वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आरएलडी की जाट समुदाय पर पकड़ मजबूत है और सपा से गठबंधन भी है. ऐसे में 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को नुकसान हो सकता है.
वहीं राजपूत समाज की बात की जाए तो इसका भी राजस्थान में काफी दबदबा है. बृजभूषण सिंह राजपूत समाज से आते है और ये अकेले दम पर 4-5 लोकसभा की सीट जीताने का दम रखती है. राजस्थान, बिहार, हिमाचल और यूपी का बात की जाए तो 20 सीटों पर राजपूतों का दबदबा है. 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 20 सीटों पर जीत मिली थी.
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