नई दिल्ली, आज दोपहर नोएडा के सेक्टर 93-A स्थित ट्विन टावर को ध्वस्त कर दिया गया है, भ्रष्टाचार की इस गगनचुंबी इमारत को अधिकारियों और बिल्डर की मिलीभगत से खड़ा किया था, 30 और 32 मंजिला की ये गगनचुंबी भ्रष्टाचार की इमारतें बस चंद सेकेंड्स में ही मिट्टी में मिल गईं. बस एक बटन दबाते […]
नई दिल्ली, आज दोपहर नोएडा के सेक्टर 93-A स्थित ट्विन टावर को ध्वस्त कर दिया गया है, भ्रष्टाचार की इस गगनचुंबी इमारत को अधिकारियों और बिल्डर की मिलीभगत से खड़ा किया था, 30 और 32 मंजिला की ये गगनचुंबी भ्रष्टाचार की इमारतें बस चंद सेकेंड्स में ही मिट्टी में मिल गईं. बस एक बटन दबाते ही पूरी इमारत धराशाई हो गई. 9000 से ज्यादा छेद कर 3700 किलो बारूद भर इस टावर को ध्वस्त किया गया है, इसके बाद तीन किलोमीटर इलाके तक धूल फैलती दिखी. प्रदूषण पर काबू पाने के लिए एंटी फगिंग गन और 75 वाटर टैंक पूरी तरह तैयार थे, ध्वस्तीकरण के बाद मौके पर धुंए का गुबार देखने को मिल रहा है.
सुपरटेक के ट्विन टावर्स को गिराने में तकरीबन 17.55 करोड रुपये का खर्च आया है, दिलचस्प बात तो ये है कि इसे गिराने का खर्च भी बिल्डर कंपनी सुपरटेक ने वहन किया है. दोनों ही टावरो में कुल 950 फ्लैट्स बने चुके थे, 200 से 300 करोड़ रुपये की लागत से इस ट्विन टावर का निर्माण किया था.
950 फ्लैट्स के इन 2 टावर्स को बनाने में ही सुपरटेक 200 से 300 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है, वहीं टावर्स को गिराने का आदेश दिए जाने से पहले इन फ्लैट्स की मार्केट वैल्यू बढ़कर 700 से 800 करोड़ तक पहुंच चुकी थी. रियल एस्टेट के जानकारों का मानना है कि इस इलाके में 10 हज़ार रुपए प्रति वर्ग फीट का रेट है अब इस हिसाब से बिना किसी विवाद के इन टावर्स की बाज़ार में कीमत 1000 करोड़ के पार निकल गई होती लेकिन अब सुपरटेक को ये भारी नुकसान होने वाला है, बता दें सुपरटेक ने इस नुकसान से बचने की भरसक कोशिश की थी. कोर्ट में तमाम तरह की दलीले दी थीं जिसमें एक टावर गिराकर वहां दूसरे को खड़े रहने का विकल्प भी दिया गया था, लेकिन कोर्ट ने इन टावर्स को गिराने का आदेश दिया.
Twin Tower: 9 सेकेंड में मलबे का ढेर बन गया ‘ट्विन टावर’, 3700 किलोग्राम विस्फोटकों ने किया जमींदोज