देहरादून: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल हादसे (Uttarkashi Tunnel Accident) का आज 16वां दिन है। 16 दिन से इस टनल में 41 मजदूर फंसे हुए हैं। दरअसल, उत्तरकाशी में 12 नवंबर को निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढहने से उसके भीतर काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए। अब घटना के 15 दिन बीत चुके हैं, पर अभी तक यहां फंसे मजदूरों को बाहर नहीं निकाला जा सका है।
हालांकि रेस्क्यू ऑपरेशन (Tunnel Accident Rescue Operation) जारी है। इन्हें निकालने के लिए पहुंचाई जाने वाली 80 सेंटीमीटर व्यास की आखिरी 10 मीटर की पाइप बिछाने का काम ड्रिल करने वाली ऑगर मशीन के टूट कर अंदर फंस जाने की वजह से पिछले चार दिनों से नहीं हो पा रहा है। इस बीच बचाव अभियान पर कुदरत का खतरा भी मंडराना शुरु हो गया है। मौसम विभाग ने उत्तराखंड के लिए सोमवार से तीन दिनों तक भारी बारिश और बर्फबारी का अलर्ट जारी किया है।
फिलहाल पाइप के अंदर से मशीन के टूटे हुए हिस्से को निकाला जा चुका है। लेकिन फिर भी वैकल्पिक रास्ते के तौर पर भारतीय सेना के जवान पहाड़ी के ऊपर से वर्टिकल खुदाई कर रहे हैं। जवान अब तक करीब 20 मीटर तक की खुदाई कर चुके हैं। वर्टिकल तौर पर कम से कम 86 मीटर की खुदाई की जाएगी। इसमें चार दिनों का वक्त लगने का दावा किया जा रहा है। वहीं, सुरंग के अंदर बचाव अभियान के लिए ड्रोन मैपिंग कर ली गई है।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने उत्तराखंड के लिए येलो अलर्ट जारी कर दिया है। विभाग के मुताबिक, यहां आज यानी सोमवार (27 नवंबर) से अगले तीन दिनों तक भारी बारिश के साथ बर्फबारी की संभावना है। उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग और अल्मोड़ा के ऊपरी इलाकों में पश्चिमी विक्षोभ के कारण भारी बारिश के साथ-साथ बर्फबारी हो सकती है। जानकारी हो कि सिलक्यारा और बड़कोट में भारी बर्फबारी होती है। बारिश और बर्फबारी के हालात में बचाव अभियान (Tunnel Accident Rescue Operation) में मुश्किलें और ज्यादा बढ़ जाएंगी।
मौसम विभाग के निदेशक डॉ विक्रम सिंह के मुताबिक, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर और पिथौरागढ़ में बारिश और ओले गिरने की संभावना है। साथ ही 3500 मीटर की ऊंचाई पर बर्फबारी भी हो सकती है। डॉ विक्रम सिंह के अनुसार, इन इलाकों में घना कोहरा भी छाएगा, जिसकी वजह से सड़क और रेल यातायात में भी दिक्कतें आएंगी।
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सिलक्यारा में पहाड़ी मिट्टी है। इसी कारण बारिश के बाद मिट्टी हल्की होकर और धंसने लगती हैं। साथ ही सुरंग के अंदर डाली गई पाइप जिस सहारे पर टिकी हुई है, उसमें भी बारिश के बाद दरार पड़ सकती है। बारिश हुई तो यहां रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे लोगों की सुरक्षा भी एक चुनौती हो जाएगी। बर्फबारी से ठंड बढ़ जाएगी और इससे सुरंग में मजदूर और बचाव अभियान में लगे लोगों के लिए भी मुश्किलें आएंगी। साथ ही बर्फबारी के बाद बिजली की दिक्कतें पैदा हो सकती हैं।
नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथोरिटी की सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने उत्तरकाशी सुरंग मामले पर लोगों को दिलासा दिलाया है कि बारिश से बचाव अभियान पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि बारिश की संभावना है पर इससे विशेष असर नहीं पड़ेगा। हमारे सभी भाई पूरी तरह से सुरक्षित बाहर आएंगे, मैं आपको इसका भरोसा दिलाता हूं।
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