what is the NOK rule:शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया .राष्ट्रपति भवन में यह पुरस्कार शहीद की पत्नी स्मृति और मां मंजू सिंह ने लिया था .लेकिन अब शहीद की पत्नी ससुराल छोड़कर मायके चली गईं .वहीं शहीद के पिता रवि प्रताप सिंह ने बताया कि वह सबकुछ अपने […]
what is the NOK rule:शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया .राष्ट्रपति भवन में यह पुरस्कार शहीद की पत्नी स्मृति और मां मंजू सिंह ने लिया था .लेकिन अब शहीद की पत्नी ससुराल छोड़कर मायके चली गईं .वहीं शहीद के पिता रवि प्रताप सिंह ने बताया कि वह सबकुछ अपने साथ मायके लेकर चली गई है .उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि हमें आजतक ये पता नहीं चला पाया कि वह हमारा परिवार छोड़कर क्यों गईं. इसके साथ ही उन्होंने प्रेम कहानी को भी झूठा बताया जिस प्रेम कहानी को सुनाते हुए स्मृति भावुक हो गई थीं। आगे उनके पिता ने कहा कि18 जुलाई 2023 को मेरी अंशुमान से बात हुई थी.इसके बाद 19 जुलाई को यह घटना हो गई. इस घटना के एक साल बाद एक फरवरी को शांतिपाठ करवाया, लेकिन वह इस शांतिपाठ में भी शामिल नहीं हुई .वह हमेशा यही बोलती रही कि हमें संभलने के लिए वक्त चाहिए। कैप्टन के पिता ने यह भी बताया कि स्मृति यहां से मायके जाने के दस दिन बाद ही स्कूल में पढ़ाने लगीं थी, कोई व्यक्ति स्कूल में तभी पढ़ा सकता है, जब वह मानसिक रूप से सही हो
शहीद की मां ने कहा कि उनकी बहू नोएडा के घर से अपना सारा सामान समेटकर कर अपने साथ ले गई. उन्होंने बताया कि जब उनकी बेटी नोएडा के घर गई तब उन्हें इसके बारे में पता चला। मेरा बेटा उनसे बहुत प्रेम करता था, लेकिन उन्होंने प्रेम की सारी परिभाषा को तार-तार कर दिया। मेरे पास न बेटा बचा, न बहू और न इज्जत। शहीद के पिता ने मुआवजे को लेकर कहा, इसकी ज्यादातर राशि बहू को मिली। हमे सिर्फ 15 लाख ही मिले।
शहीद के पिता रवि प्रताप सिंह ने सेना के नियम में सुधार करने की मांग करते हुए कहा कि NOK के लिए निर्धारित मानदंड सही नहीं हैं.उन्होंने इस बारे में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी बात की है। उनकी बहू अब उनके साथ नहीं रहती है। शहीद कैप्टन के पिता ने मांग की है कि NOK की नई परिभाषा तय की जानी चाहिए. यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अगर शहीद की पत्नी परिवार में रहती है, तो किस पर कितनी निर्भरता है। अगर शहीद की पत्नी उनके माता पिता के साथ नहीं रहती है क्या इस नियम में बदलाव किया जाना चाहिए।
NOK के नियम से तात्पर्य है निकटतम परिजन इसका मतलब शहीद व्यक्ति के जीवनसाथी या सबसे करीबी रिश्तेदार, इसके अलावा परिवार के सदस्य या कानूनी अभिभावक होता है। जब कोई सेना में भर्ती होता है तो उसके माता-पिता या अभिभावकों को NOK के रूप में सूचीबद्ध किया जाता है. सेना के नियमों के अनुसार जब कोई सेना का जवान शादी करता है, तो उसके माता-पिता की जगह उसके पत्नी का नाम सबसे निकटतम परिजन के रूप में सूचीबद्ध किया जाता है सेना के नियमों के अनुसार, अगर सेवा के दौरान किसी व्यक्ति को कुछ हो जाता है तो अनुग्रह राशि NOK को सौंपी जाती है.
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