कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद इस बिल को सदन में पेश करेंगे. इंस्टेंट तलाक पर कानून बन जाने से तलाक के मामले घटने की संभावनाएं रहेंगी. अभी तलाक पीड़िताओं के लिए कोई प्रभावी कानून नहीं है. ऐसे में इस बिल को महिला सशक्तिकरण की दिशा में उठाया गया कदम बताया जा रहा है.
नई दिल्ली. लोकसभा में पिछले दो दिन मनमोहन सिंह और 2जी मामले पर हंगामे की भेंट चढ़ गए. ऐसे में तीन तलाक का मुद्दा आज (शुक्रवार) लोकसभा में पेश किया जा सकता है. कैबिनेट से पिछले हफ्ते ही इस बिल को मंजूरी मिल चुकी है. तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर कानून बनाने का फैसला किया था, जिसमें तीन तलाक देने वाले को सजा का प्रावधान है. सरकार ‘द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट’ के नाम से इस विधेयक को ला रही है.
यह कानून सिर्फ एकमुश्त तीन तलाक (INSTANT TALAQ, यानि तलाक-ए-बिद्दत) पर ही लागू होगा. कानून बन जाने के बाद अगर कोई मुस्लिम पति अपनी पत्नी को एक साथ तीन तलाक देता है तो वह गैरकानूनी होगा. बिल के प्रारूप के मुताबिक एक साथ तीन तलाक (बोलकर, लिखकर, ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप जैसे माध्यम से) देना गैरकानूनी होगा. ऐसे तलाक को नहीं माना जाएगा साथ ही ऐसा करने वाले पति को तीन साल की जेल की सजा हो सकती है. यह गैर जमानती व संज्ञेय अपराध माना जाएगा.
ड्राफ्ट बिल के मुताबिक ‘तलाक ए बिद्दत’ पीड़िता को अपने और नाबालिग बच्चों को गुजारा भत्ता मांगने से मजिस्ट्रेट से गुहार लगाने की शक्ति देगा. मजिस्ट्रेट इस मुद्दे पर अंतिम फैसला देंगे. प्रस्तावित कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होगा.
ऑल इंडिया मजलिस-ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस बिल के विरोध में कानूनमंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखा था. ओवैसी ने पत्र में लिखा था कि सरकार को इस कानून के संबंध में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से राय मशविरा कर उनके विचार जानने चाहिए. इसके अलावा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी इस बिल का विरोध किया था. बोर्ड का आरोप था कि मोदी सरकार यह बिल मुस्लिम महिलाओं के सशक्तिकरण नहीं बल्कि राजनीतिक सटंट के तहत ला रही है.
ट्रिपल तलाक: शुक्रवार को लोकसभा में बिल पेश करेगी केंद्र सरकार, 3 साल की कैद और जुर्माने का प्रावधान
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