शिमला : देवभूमि हिमाचल में विधानसभा चुनाव आने में महज कुछ ही दिनों का समय बचा हुआ है जहां सभी पार्टियों ने चुनावी बिगुल फूंक दिया है. भाजपा शासित राज्य में ये चुनाव काफी मायने रखते हैं क्योंकि BJP हो या कांग्रेस हिमाचल के लोगों ने हर बार सरकार बदली है. देखना ये होगा कि […]
शिमला : देवभूमि हिमाचल में विधानसभा चुनाव आने में महज कुछ ही दिनों का समय बचा हुआ है जहां सभी पार्टियों ने चुनावी बिगुल फूंक दिया है. भाजपा शासित राज्य में ये चुनाव काफी मायने रखते हैं क्योंकि BJP हो या कांग्रेस हिमाचल के लोगों ने हर बार सरकार बदली है. देखना ये होगा कि क्या इस बार भी हिमाचल चुनाव में सरकार बदलेगी या जनता एक बार फिर कमल को खिलाएगी. वहीं राज्य में हर एक पार्टी के लिए अपनी अलग समस्या है. भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बागी नेता हैं तो वहीं कांग्रेस-AAP के सामने ओपिनियन पोल्स के नतीजे परेशानी बने हुए हैं. राज्य में 12 नवंबर को चुनाव होने वाले हैं ऐसे में ये जानना बेहद आवश्यक है कि आखिर कौन सी वो 10 हॉट विधानसभा सीटें हैं जिनपर सभी पार्टियों के बीच दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा.
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में सिराज सीट पर सभी की नज़रें टिकी हुई हैं. सूबे के मौजूदा भाजपाई सीएम जय राम ठाकुर लगातार 5 बार इस सीट से विधायक रहे हैं और छठी बार लड़ने के लिए तैयार हैं. इस सीट पर साल 1993 तक कांग्रेस डटी रही. लेकिन इसके बाद मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने इसपर ऐसा कब्ज़ा जमाया कि पिछले 5 सालों में किसी और नेता ने सिराज की गद्दी नहीं देखी. इस बार चुनाव की बात करें तो मंडी जिले से पहले मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के सामने सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस के चेतराम ठाकुर होंगे. जबकि AAP ने भी एक ठाकुर उम्मीदवार- गीता नंद ठाकुर को मैदान में उतारा है.
बीते चुनावी साल की बात करें तो जय राम ठाकुर ने चेतराम ठाकुर को यहां से 11,254 वोटों से हराया था. इस बार भी उम्मीद जताई जा रही है कि जय राम ठाकुर आसानी से यहां से जीत जाएंगे. हालांकि साची स्थित सरकारी डिग्री कॉलेज की बिल्डिंग के निर्माण में देरी को लेकर जनता में उनके प्रति नाराज़गी देखने को मिल रही है.
बिलासपुर सदर विधानसभा सीट भी इस साल काफी दिलचस्प होने वाली है. इस सीट पर BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का होम टर्फ रहा है. अर्थात ये उनकी गृह सीट है. जिस वजह से इस सीट पर समीकरण दिलचस्प जा रहा है. बिलासपुर सदर में खुद जेपी नड्डा उनके स्वजन बीजेपी प्रत्याशी त्रिलोक जम्वाल के लिए प्रचार कर रहे हैं. उनके सामने कांग्रेस के बंबर ठाकुर हैं बड़ी चुनौती होंगे. हालांकि इस सीट पर सबसे बढ़ी फजीहत सुभाष शर्मा बने हैं जो कभी नड्डा के वफादार थे.
टिकट ना मिलने के बाद इस सीट से सुभाष शर्मा निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. बता दें, बिलासपुर सदर के मौजूदा विधायक बीजेपी के सुभाष ठाकुर ही हैं. इस बार उनका टिकट काट दिया गया है. सुभाष ठाकुर ने बंबर ठाकुर को साल 2017 के चुनावों में 6826 वोटों से हराया था.
ये सीट कांग्रेस का गढ़ रही है. कसुम्पटी विधानसभा सीट से पार्टी के मौजूदा विधायक अनिरुद्ध सिंह जीत इस बार हैट्रिक लगाने की आस में हैं. बीते 20 सालों से यहां बीजेपी एक बार भी नहीं जीती है. बीजेपी ने कांग्रेस के इस किले को ढाहने के लिए इस बार हिमाचल के शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज को दी है. आम आदमी पार्टी की बात करें तो यहां से राजेश चन्ना को टिकट देकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश का रहे है.
इस बात की खास बात ये है कि बीजेपी उम्मीदवार के रूप में सुरेश भारद्वाज के चयन से लेकर बीजेपी में बगावत का माहौल भी है. खुद भारद्वाज खेमा में आलाकमान के इस फैसले से हैरान थे. पिछले चुनावों की बात करें तो कांग्रेस के अनिरुद्ध सिंह ने बीजेपी के विजय ज्योति को 9397 वोटों से शिकस्त दी थी.
हरोली विधानसभा सीट से इस समय कांग्रेस नेता मुकेश अग्निहोत्री विधायक हैं. इस बार चुनाव में वे जीत की हैट्रिक लगाना चाहते हैं. कांग्रेस उम्मीदवार मुकेश अग्निहोत्री ने साल 2017 विधानसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी राजकुमार को 7377 वोटों से मात दी थी. हालांकि इस बार भी बीजेपी ने राम कुमार पर भरोसा जताया है जो लगातार दो बार मुकेश अग्निहोत्री से हार चुके हैं. बता दें, राम कुमार भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हैं जबकि मुकेश अग्निहोत्री पहले पत्रकार रह चुके हैं.
सबसे अधिक छह बार हिमाचल में मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड बनाने वाले कांग्रेस के दिग्गज नेता वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य इस बार इसी सीट से चुनाव लड़ेंगे. वह इस सीट से एक बार जीत हासिल कर चुके हैं और दूसरी बार जीतने की तैयारी कर रहे हैं. इस बार भगवा पार्टी ने इस सीट से कई पुराने चेहरों को तव्वजो नहीं दी. पार्टी के विक्रमादित्य के खिलाफ रवि मेहता को जिम्मेदारी दी गई है. बल्कि जबकि आम आदमी पार्टी ने प्रेम ठाकुर को चुनावी मैदान में जगह दी है.
ठियोग विधानसभा सीट शिमला जिले में आने वाली इकलौती ऐसी सीट थी जहां CPI(M) ने साल 2017 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी. CPI(M) के सीटिंग MLA राकेश सिंघा के सामने इस बार अपनी इसी जीत को दोहराने की चुनौती है. ठियोग सीट से बीजेपी ने अजय श्याम जबकि कांग्रेस ने कुलदीप सिंह राठौर को मैदान में उतारा है. साल 2017 के चुनाव में राकेश सिंघा ने बीजेपी उम्मीदवार राकेश वर्मा के सामने जीत हासिल की थी.
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के बीच फतेहपुर सीट पर इस बार चर्चा तेज है. क्योंकि इस सीट का कनेक्शन पीएम मोदी से जुड़ा है. दरअसल सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहे कि वीडियो में पीएम मोदी इस सीट से बीजेपी के बागी नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद कृपाल परमार को चुनाव से हटने और बगावत छोड़ने के लिए कहते हैं.
बता दें, साल 2017 में BJP ने कृपाल परमार कोटिकट दिया था लेकिन उस समय वह कांग्रेस के पूर्व मंत्री सुजान सिंह पठानिया से हार गए थे. साल 2020 में पठानिया का निधन हो गया जिसके बाद फिर चुनाव हुआ लेकिन बीजेपी इस बार भी जीत नहीं पाई. इस बार भाजपा ने इस सीट से उपचुनावों में बलदेव ठाकुर को टिकट दे दिया था. उपचुनावों में इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी और सुजान सिंह के बेटे भवानी पठानिया ने बलदेव ठाकुर को 5789 मतों से मात दी थी.
इस सीट से कांग्रेस ने एक बार फिर भवानी सिंह पठानिया को मैदान में उतारा है. जबकि बीजेपी ने राकेश पठानिया को चुनावी टिकट दिया था बस इसी से नाराज कृपाल परमार ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है. इतना ही नहीं पीएम के फोन के बावजूद वो पीछे नहीं हटे हैं. ऐसे में भाजपा ने उन्हें पार्टी से भी निकाल दिया है.
हिमाचल के ‘फीनिक्स’ कहलाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता पंडित सुखराम की विधानसभा क्षेत्र मंडी सदर की सीट भी इस बार चुनावों की हॉट सीटों में है. यहां भाजपा का बागी नेता ही बीजेपी और कांग्रेस को टक्कर दे रहा है. बीजेपी ने यहां अनिल शर्मा व कांग्रेस ने चंपा ठाकुर को मैदान में उतारा है. लेकिन टिकट न मिलने से भाजपा नेता नाराज प्रवीण शर्मा निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. बता दें, अनिल शर्मा पंडित सुखराम के बेटे हैं जो बीते दिनों कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आ गए थे. प्रवीण शर्मा का आरोप है कि भगवा पार्टी कांग्रेस छोड़ पैरासूट से आए नेता को ज़्यादा मान्यता दे रही है.
नादौन विधानसभा सीट पर भी कड़ा मुकाबला देखने को मिलने वाला है. यहां साल 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नेता सुखविंदर सिंह सुक्खु ने बीजेपी उम्मीदवार विजय अग्निहोत्री को 2,349 से हराया था. इस बार भी दोनों उम्मीदवार ही मैदान में हैं. गुजरात के साथ-साथ हिमाचल में भी अपनी पकड़ बना रही पार्टी आम आदमी पार्टी ने इस सीट से शैंकी ठुकराल को जगह दी है.
राजनीतिक और पर्यटन के लिहाज से मनाली सीट की चर्चा काफी तेज है. यहां साल 2012 से बीजेपी नेता गोविंद सिंह ठाकुर का कब्जा रहा है लेकिन इस बार असंतुष्ट अधिवक्ता महेंद्र ठाकुर ने निर्दलीय मैदान में उतरकर चुनाव दिलचस्प बना दिया है. कांग्रेस नेता भुवनेश्वर गौर ने इस सीट से साल 2012 में चुनाव लड़ा था जहां कांग्रेस उम्मीदवार भुवनेश्वर गौर को ही इस बार मौका दिया है. AAP ने अनुराग प्रार्थी को इस बार चुनावी मैदान में उतारा है.
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