नई दिल्ली: संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ को राजपूत समाज ने अपनी आन बान और शान की लड़ाई बना लिया है. फिल्म ‘पद्मावत’ की शूटिंग रुकवाने के लिए शक्ति प्रदर्शन नाकाम रहा तो राजपूत संगठनों, खासकर करणी सेना ने फिल्म के ट्रेलर पर बवाल मचाया. सेंसर बोर्ड ने नाम बदलकर फिल्म को हरी झंडी दिखाई, तो राजपूत संगठनों ने राजनीतिक रसूख दिखाकर कई राज्यों में फिल्म की रिलीज रुकवाने की कोशिश की. अब सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म को रिलीज़ करने का आदेश दिया है, तो राजपूत संगठन हिंसा और धमकी के दम पर पद्मावत की रिलीज रोकना चाहते हैं.
दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह और शाहिद कपूर की फिल्म ‘पद्मावत’ के रिलीज में अब बस 2 दिन बाकी रह गए हैं, जी हां ‘पद्मावत’ 25 जनवरी को रिलीज हो रही है. लेकिन अब तक ये साफ नहीं है कि फिल्म रिलीज होगी भी या नहीं. एक तरफ करणी सेना से जुड़े लोग शहर शहर सड़कों पर हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं तो राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट में फिल्म के खिलाफ पुनर्विचार याचिका लेकर पहुंची हैं.
इस बीच हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि वो फिल्म के प्रदर्शन पर सुरक्षा तो देंगे लेकिन थियेटर मालिक अगर फिल्म न दिखाएं तो अच्छा होगा. ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि क्या फिल्म का विरोध कर रही राज्य सरकारें मन से नहीं बल्कि मजबूरी में फिल्म को सुरक्षा देंगी. क्या क़ानून-व्यवस्था राज्यों का संवैधानिक दायित्व नहीं ? इन तमाम सवालों के जवाब आज हम अपने बड़े पैनल के जरिए तलाशेंगे. लेकिन उससे पहले आपको दिखाते हैं कि देश भर में शहर-शहर पद्मावत को लेकर कैसे संग्राम छिड़ा है. वीडियो में देखें पूरा शो…
संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत के विरोध में कुरुक्षेत्र के एक मॉल में तोड़फोड़, फायरिंग
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