देश-प्रदेश

महंगाई: टमाटर ने फ़ीका किया खाने का स्वाद, 1 हफ्ते में 3 गुना बढ़े टमाटर के दाम

नई दिल्ली: आम जनता को महंगाई अपने रूप बदल बदल कर परेशान कर रही है। पहले पेट्रोल और डीजल की कीमतों ने लोगों की नींद उड़ाई तो अब टमाटर के जरिए लोगों की जेब पर डाका डल रहा है। सरकारी आंकड़ों की मानें तो महानगरों में टमाटर की खुदरा कीमतों में सिर्फ 1 महीने के भीतर 3 गुना की बढ़ोतरी हुई है। वही देश के कुछ शहर तो ऐसे हैं जहां टमाटर की कीमतें 100 रुपये के ऊपर चली गई हैं। महानगरों में केवल दिल्ली ही एक ऐसा शहर है जहां अभी भी टमाटर की कीमतों में नरमी बनी हुई है। टमाटर की कीमतों में उछाल के पीछे सप्लाई की कमी होने का कारण बताया जा रहा है।

जाने कहाँ, कितने बढ़े रेट

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा दिए गए आंकड़े के अनुसार कोलकाता में टमाटर की कीमत 30 अप्रैल से 1 जून के बीच 25 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 77 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है। यानी कीमतों में 3 गुना सीधे बढ़त हुई है।

मुंबई में भी टमाटर की कीमत 36 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 74 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है, जो दोगुना से ज़्यादा है।

चेन्नई में टमाटर की कीमत 45 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 62 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है।

दिल्ली में केवल टमाटर की कीमतों में नरमी बनी हुई है, जहां 1 जून को टमाटर की कीमत 39 रुपये प्रति किलोग्राम थी जबकि अप्रैल अंत मे ये 30 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर बनी हुई थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार को देश के 4 शहरों- पोर्ट ब्लेयर, शिलांग , कोट्टायम और पठानमाथिट्टा में टमाटर की खुदरा कीमतें 100 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक चल रही थी। बाजार की परिस्थितियों पर नजर रखने वालों की माने तो टमाटर की खुदरा कीमतों में बढ़त के लिए आंध्र प्रदेश और कर्नाटक जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में आपूर्ति की कमी मुख्य वजह है। आकड़ो के अनुसार पूरे देश भर के लिए टमाटर का औसत खुदरा मूल्य बुधवार को 77% बढ़कर 52.30 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया जो 1 महीने पहले की अवधि में 29.5 प्रति किलोग्राम था।

खाद्य महंगाई में उछाल

दुनिया भर में इस वक्त खाने पीने के सामान की कीमतों में उछाल देखने को मिल रहा है। इसके लिए रूस यूक्रेन संकट से लेकर जलवायु का असर मुख्य वजह है। इस साल गेहूं की कीमतों में भी उछाल देखने को मिला क्योंकि बढ़ती गर्मी की वजह से देश में फसल पर इसका बुरा असर पड़ा? वहीं ब्राजील में सोयाबीन की खेती पर मौसम का असर पड़ा जिससे सोयाबीन की पैदावार घट गई। खाद्य तेलों की कीमत पहले से ही ऊपरी स्तरों पर बनी हुई है ऐसे में फल सब्जी की बढ़ती कीमतों से भी ग्राहक की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। ईंधन से लेकर सब्जी और खाना पकाने के तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होने से थोक मुद्रास्फीति अप्रैल में 15.08 जीरो आठ प्रतिशत रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई। वहीं खुदरा मुद्रास्फीति करीब 8 साल के उच्च स्तर 7.79 पर पहुंच गई है।

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Girish Chandra

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